भूख से मरते बेकार लोगों का परमेश्वर तो कोई काम और उसस मिलन वाला राटा हा
है । उनके लिए परमेश्वर का यही एकमात्र स्वीकार्य रूप हो सकता है
वीकार्य रूप हो सकता है । ईश्वर ने मानव की
सष्टि काम करके अपना भोजन जटाने के लिए की । जा का
जो काम नहीं करते वे एक प्रकार के चोर
है। भारत में आज भी अनेक लोगों को लाचारीवश ही सहा,
जीवन बिताना पड़ता है। फिर क्या आश्चर्य यदि भारत आज एक विशाल कारागार बन गया
है ? भूख ही वह कारण है जो भारत को चरखे की ओर लिए जा रहा है । चरखे की पुकार
सबसे उदात्त, सबसे मीठी है । कारण, यह प्रेम की पुकार है । और प्रेम ही स्वराज है । अगर
हमारे करोड़ों देशवासियों को अपने बेकार समय का उपयोग करना नहीं आता तो उनके लिए
स्वराज का कोई मतलब नहीं है । इस स्वराज को थोडे समय में प्राप्त करना संभव है और
इसका एकमात्र उपाय यह है कि हम फिर से चरखे की शरण में जाएं।
मैं विकास चाहता हूँ, आत्म-निर्णय का अधिकार चाहता हूँ, स्वतंत्रता भी चाहता हूँ,
लेकिन सब-कुछ आत्मा की ख़ातिर चाहता हूँ । मुझे तो इसमें शक है कि मानव लौह-युग में
प्रस्तर युग से सचमुच आगे बढ़ा है । मैं इस ओर से उदासीन हूँ। हमें अपनी बौद्धिक शक्ति
और अन्य सभी शक्तियों का उपयोग आत्मा के विकास के लिए करना है । आधुनिक
ज्ञान-विज्ञान से सम्पन्न किसी व्यक्ति के बारे में मैं आसानी से सोच सकता हूँ कि वह
मानव-जाति के लिए कोई स्थायी और नया आविष्कार कर सकता है, वह ईश्वर का नित
नवीन गुण-गान करते हुए इस दुख-संतप्त धरित्री को शांति और सद्भावना का संदेश दे सकता
है । लोगों से चरखा अपनाने के लिए कहने का मतलब है श्रम की गरिमा का स्वीकार । चरखे
को उसके गौरवपूर्ण स्थान से विदेशी वस्त्रों के प्रति हमारे आकर्षण ने ही दूर किया है ।
इसलिए मैं विदेशी वस्त्र पहनना पाप मानता हूँ।
(क) आत्मा की ख़ातिर कौन-सी चीजें चाहिए ?
(ख) स्वराज प्राप्ति के लिए किसकी शरण की बात की जा रही है और क्यों ?
(ग) आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से सम्पन्न व्यक्ति क्या-क्या कर सकता है ?
(घ) चोर किसे कहा गया है और क्यों ?
(ङ) लेखक की दृष्टि में विशाल कारागार क्या है ?
(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
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Bhai sahab ye kya hai the meaning often the correct answer is the other hand I have a good
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