भिखमंगो की दुनिया में बेरोक प्यार लुटनेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है की वह अपने ह्रदय पर असफलता का एक निशान मार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?
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यहाँ भिखमंगों की दुनिया से कवि का आशय है कि यह दुनिया केवल लेना जानती है देना नहीं। ... कवि के लिए यह उसकी असफलता है। इसलिए वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है। अत: कवि निराश है, वह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों के जीवन में भरने में असफल रहा।
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