भाखड़ा नंगल डैम पाठ्य मंदिर हम एक ऐसे विचार हैं
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तख़्त श्री केसगढ़ साहिब गुरुद्वारा, गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा स्थापित खालसा पंथ का जन्म स्थली है। सन् 1699 में वैसाखी वाले दिन, उनके द्वारा यहीं पर पंज प्यारे को अमृत छका कर उन्हें सिंह की उपाधि दी और उन्हीं पाँचों प्यारों के हाथ अमृत छक कर गुरु गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह कहलाए। यहीं पर उन्होंने घोषणा कि आज से सभी सिख पुरुष "सिंह" और औरतें "कौर"- (यह संस्कृत शब्द 'कंवर' का व्युत्पन्न है।) कहलाएंगी। यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने पांच ककार भी धारण करने को कहा, जो इस प्रकार हैं – कंघा - बालों की नियमित सफाई के लिए , कड़ा- सुरक्षा का प्रतीक ( हिम्मत प्रदान करता है और भय दूर करता है), कच्छहरा (कच्छा)- सेवा और लड़ाई के समय असुविधा रहित पहनावा, किरपान (कृपाण)- आत्म रक्षा हेतु शस्त्र, केस (बाल)- अकाल पुरख द्वारा दिया गया देन। यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा के रहन-सहन पर भी नियम बनाए।