भोलानाथ के पिता के पूजा के कौन-कौन से अंग थे?
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Explanation:
भोलानाथ के बाबू जी रोज़ प्रातःकाल उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नहाकर पूजा करने बैठ जाते। वे रामायण का पाठ करते। पूजा-पाठ करने के बाद वे राम-नाम लिखने लगते । अपनी ‘रामनामा बही’ पर हज़ार राम-नाम लिखकर वे उसे पाठ करने की पोथी के साथ बाँधकर रख देते । इसके बाद पाँच सौ बार कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम-नाम लिखकर उन्हें आटे की गोलियों में लपेटते और उन गोलियों को लेकर गंगा जी की ओर चल पड़ते | वहां एक-एक आटे की गोलियों को मछलियों को खिलाने लगते। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सभी जीवों पर दया दिखानी चाहिए। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना, चींटी, गाय, कुत्ते, आदि सभी को भोजन देना चाहिए तथा सभी जीवों के प्रति प्रेम की भावना रखनी चाहिए।
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भोलानाथ के बाबू जी रोज़ प्रातःकाल उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नहाकर पूजा करने बैठ जाते। वे रामायण का पाठ करते । पूजा-पाठ करने के बाद वे राम-नाम लिखने लगते। अपनी 'रामनामा बही' पर हज़ार राम-नाम लिखकर वे उसे पाठ करने की पोथी के साथ बाँधकर रख देते। इसके बाद पाँच सौ बार कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम-नाम लिखकर उन्हें आटे की गोलियों में लपेटते और उन गोलियों को लेकर गंगा जी की ओर चल पड़ते। वहां एक-एक आटे की गोलियों को मछलियों को खिलाने लगते।