Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

भोलानाथ का पिता से कुश्ती लड़ना किस प्रकार होता था? इस कुश्ती से किस प्रकार के संबंधों का पता चलता है? क्या इस प्रकार के संबंध आज भी क़ायम है?
(Class 10 Hindi A Sample Question Paper)

Answers

Answered by nikitasingh79
33
कभी-कभी बाबू जी और भोलेनाथ के बीच कुश्ती का मुकाबला होता था। कुश्ती में बाबूजी कमजोर पड़ कर भोलेनाथ के हिम्मत को बढ़ावा देते जिससे भोलेनाथ उन्हें हरा देता था। बाबूजी पीठ के बल लेट जाते और भोलेनाथ उनकी छाती पर चढ़ जाता। जब वह उनकी

लंबी लंबी मूंछें उखाड़ने लगता तो बाबूजी हंसते-हंसते उसके हाथों को होठों को मूंछों से छुड़ाकर उन्हें चूम लेते थे।

इस प्रकार की कुश्ती से पिता पुत्र के बीच आत्मीय संबंधों का पता चलता है। आज समाज में अधिक धन कमाने की दौड़ में पिता पुत्र के बीच इस प्रकार के संबंध खत्म होते जा रहे हैं। गरीब वर्ग में तो इस प्रकार के संबंध फिर भी देखे जा सकते हैं किंतु अन्य समाज में पिता के लिए इस प्रकार के खेलों के लिए समय निकालना बहुत कठिन है। इसके अतिरिक्त आजकल बच्चों को दो ढाई साल की उम्र में ही स्कूल में एडमिशन करा दिया जाता है। इससे बच्चे बचपन में ही पढ़ाई के बोझ के तले दब जाते हैं और चिंताग्रस्त रहने लगते हैं। आधुनिक जीवन शैली तथा आगे बढ़ने की दौड़ में उपरोक्त वर्णित आत्मीय संबंध कमजोर व फीके पड़ते जा रहे हैं।

Answered by rijaksaluja1234
7

कभी-कभी बाबू जी और भोलेनाथ के बीच कुश्ती का मुकाबला होता था। कुश्ती में बाबूजी कमजोर पड़ कर भोलेनाथ के हिम्मत को बढ़ावा देते जिससे भोलेनाथ उन्हें हरा देता था। बाबूजी पीठ के बल लेट जाते और भोलेनाथ उनकी छाती पर चढ़ जाता। जब वह उनकी

लंबी लंबी मूंछें उखाड़ने लगता तो बाबूजी हंसते-हंसते उसके हाथों को होठों को मूंछों से छुड़ाकर उन्हें चूम लेते थे।

इस प्रकार की कुश्ती से पिता पुत्र के बीच आत्मीय संबंधों का पता चलता है। आज समाज में अधिक धन कमाने की दौड़ में पिता पुत्र के बीच इस प्रकार के संबंध खत्म होते जा रहे हैं। गरीब वर्ग में तो इस प्रकार के संबंध फिर भी देखे जा सकते हैं किंतु अन्य समाज में पिता के लिए इस प्रकार के खेलों के लिए समय निकालना बहुत कठिन है। इसके अतिरिक्त आजकल बच्चों को दो ढाई साल की उम्र में ही स्कूल में एडमिशन करा दिया जाता है। इससे बच्चे बचपन में ही पढ़ाई के बोझ के तले दब जाते हैं और चिंताग्रस्त रहने लगते हैं। आधुनिक जीवन शैली तथा आगे बढ़ने की दौड़ में उपरोक्त वर्णित आत्मीय संबंध कमजोर व फीके पड़ते जा रहे हैं।

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