Hindi, asked by durgarani584, 7 hours ago

"भोलाराला का जीव"में निहित व्यंग्य स्पष्ट किजिए?​

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Answered by Ꭰɾєαмєɾ
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‘मुआ’ शब्द का हिंदी भाषा में बहुत उपयोग होता है। गांव की महिलाएं अक्सर इस शब्द का प्रयोग उलाहने के तौर पर करती हैं। मुआ का शाब्दिक अर्थ समझे इसका अर्थ मुर्दा, कम्बख्त, नकारा,आलसी, निखट्टू आदि के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है। मुआ शब्द संस्कृत के ‘मृ’ शब्द से बना है ‘मृ’ का अर्थ है मरे हुये के समान। और आलसी, निखट्टू, कामचोर, कर्महीन व्यक्ति मरे हुये के समान ही है।

इस संदर्भ में कबीरदास जी के दोहे का उदाहरण है...

माया मुई न मन मुआ, मरी मरी गया शरीर।

आशा तृष्णा ना मरी, कह गए संत कबीर।।

कबीर जी कहते हैं कि यह संसार मायाजाल के समान है इस माया जाल में फंस कर लोगों की हालत मृगतृष्णा के समान हो गई है अर्थात वह मृगतृष्णा के भ्रम में इधर-उधर भटक रहे हैं। इस कम्बख्त माया के भ्रम में ये कम्बख्त मन नही मरा, शरीर खत्म हो गया लेकिन उनकी आशा, तृष्णा नहीं मरी है, इस कारण वे इस माया रुपी संसार के जाल में फंसकर भटक रहे हैं।

यहां कबीर जी ने ‘मुआ’ शब्द का प्रयोग मानव मन पर व्यंग्य और उलाहने के रूप में किया है।

Answered by shardakuknaa
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