भोला राम की जीभ व्यंग की समीक्षा कीजिए
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हरिशंकर परसाई :: :: :: भोलाराम का जीव :: व्यंग्य ऐसा कभी नहीं हुआ था. धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे. पर ऐसा कभी नहीं हुआ था.
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volaram ki gib ki samiksha
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