Hindi, asked by anjalimeshram9531, 8 months ago

"भोलाराम का जीव" हरिशंकर परसाई जी का व्यंग्य है. इस व्यंग्य के उद्देश्य और नैतिकता का विस्तार आलोचना कीजिए​

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Answered by hpysul
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Answer:

नई कहानी आंदोलन के महत्वपूर्ण कहानीकार हरिशंकर परसाई की ‘भोला राम का जीव ‘ कहानी पर यह इकाई आधारित हैं। हरिशंकर परसाई कई दशकों तक अपनी व्यंग्यात्मक कहानियों और व्यंग्यलेखों के कारण चर्चा में रहे हैं। प्रस्तुत कहानी में सरकारी कार्यालयों में पनप रहे भ्रष्टाचार के कारण सामान्य व्यक्ति की बढ़ती हुई परेशानियों का मार्मिक चित्रण किया है। भ्रष्ट सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में मनुष्य की क्या हालत हो चुकी है। मानवीय संवेदनाएं नष्ट होकर मनुष्य अपने स्वार्थ में लिप्त हो चुका है तथा भ्रष्टाचार के क्रूर व्यवहार को चुपचाप देखने और सहने के अलावा आम इंसान के पास दूसरा कोई साधन नहीं है।

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