भोलाराम का जीव कहां अटक गया था
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तन्त्र में होनेवाले भ्रष्टाचार का वर्णन इस पाठ में किया गया है। कहानी में भोलाराम यह एक पात्र है, वह जबलपुर के धमापुर मोहल्ले में रहता था। सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद वह पेंशन पाने के लिए कार्यालय के चक्कर काटता रहा। परन्तु उसका आर्थिक तंगी के कारण देहान्त हो गया, पर उसकी आत्मा पेंशन की फाइल में अटक गयी।
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bholaram ka jeev kaha atka tha
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