भोलाराम का जीव शासकीय कार्यलयीन व्यवस्था पर एक बहुत बड़ा व्यंग्य है स्पष्ट कीजिए
Answers
Answered by
4
Answer:
पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install App
भोलाराम नाटक में बताया- सरकारी दफ्तरों का हाल
2 वर्ष पहले
No ad for you
रायगढ़ | सेवानिवृत्त होने के बाद अधिकांश शासकीय कर्मचारी पेंशन स्वीकृत कराने सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर है। रचनाकार हरिशंकर परसाई ने करारा व्यंग्य कसते हुए भोलाराम का जीव कहानी लिखी है। इसी कहानी पर आधारित नाटक का मंचन शहर के सांस्कृतिक संस्था गुड़ी द्वारा पालिटेक्निक आडिटोरियम में किया गया। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन की स्वीकृति के लिए परेशान होना पड़ता है। इस मौजूदा व्यवस्था पर बड़ा सटीक व्यंग्य करते हुए प्रसिद्ध रचनाकार एवं व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने भोलाराम का जीव कहानी लिखी गई है। कहानी के अनुसार भोलाराम के सेवानिवृत्त होने के पांच साल बाद भी उसकी पेंशन मंजूर नहीं होती है और गरीबी से जुझते हुए आखिरकार वह दम तोड़ देता है,पर परिवार के लालन पालन के लिए आवश्यक पेंशन राशि की मंजूरी नहीं होने से उसकी आत्मा इसी लोक में भटकते रहती है।मृत्यू के बाद जब उसका जीव यमलोक नहंी पंहुचता है तो यमराज द्वारा जीव को लाने की जिम्मेदारी नारद ऋषि को दी जाती है। नारद पृथ्वी पर आते हैं और उसके परिवार से मिलते हैं। परिवार की गरीबी की दास्तान सुन कर नारद का दिल पसीज जाता है और वे स्वंय ही पेंशन स्वीकृति के लिए भोलाराम के आफिस जाते हैं जहां उन्हें पता चलता है रिश्वत के उसका काम अटका हुआ है।
नाटक का मंचन करते कलाकार।
Explanation:
here is your answer
hope it's helpful
Answered by
2
Answer:
प्रस्तुत कहानी में सरकारी कार्यालयों में पनप रहे भ्रष्टाचार के कारण सामान्य व्यक्ति की बढ़ती हुई परेशानियों का मार्मिक चित्रण किया है। भ्रष्ट सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में मनुष्य की क्या हालत हो चुकी है। मानवीय संवेदनाएं नष्ट होकर मनुष्य अपने स्वार्थ में लिप्त हो चुका है तथा भ्रष्टाचार के क्रूर व्यवहार को चुपचाप देखने और सहने के अलावा आम इंसान के पास दूसरा कोई साधन नहीं है।
इस इकाई के अध्ययन के बाद आप :
- भ्रष्ट सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के चरित्र को समझ सकेंगे;
- नौकरशाही में बढ़ते भ्रष्टाचार के शिकंजे में आम आदमी की अवस्था कितनी असहाय और दयनीय हो जाती है, को रेखांकित कर सकेंगे;
- परसाई जी की रचनाओं का उद्देश्य और सामाजिक परिवर्तन में इनकी भूमिका का विवेचन कर सकेंगे;
- भ्रष्ट नौकरशाही की विसंगतियाँ, उसकी विरूपता और अमानवीय प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाल सकेंगे;
- परसाई जी द्वारा प्रयुक्त व्यंग्यात्मक शैली की विशेषताओं और इसकी सामाजिक परिवर्तन में विशिष्ट भूमिका के मूल्याकंन कर सकेंगे;
- व्यंग्य के सटिक प्रयोग द्वारा भ्रष्ट नौकरशाही की विरुपता को उजागर करने में कहानी की सफलता-असफलता पर आलोचनात्मक टिप्पणी कर सकेंगे।
#SPJ2
Explanation:
Similar questions
Social Sciences,
3 months ago
Art,
3 months ago
Social Sciences,
3 months ago
Hindi,
6 months ago
Math,
6 months ago
Science,
10 months ago
Geography,
10 months ago