भूलकर भी दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं’ पंक्ति का भावार्थ है-
वे दूसरों की मदद के लिए हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठते|
वे दूसरों की मदद लेते हैं |
वे दूसरों से उम्मीद रखते
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ve khabhi bhi Duarte se madad ki umid nahi rakhte
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वे दूसरों की मदद नहीं लेते
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