भूमंडलीकरण के वतमान दौर शाति और संधर्ष के सवरूप मे किस प्रकार परिवतन हुआ है
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भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में देश एक दूसरे पर परस्पर निर्भर हो जाते हैं और लोगों के बीच की दूरिया घट जाती हैं। एक देश अपने विकास के लिए दूसरे देशों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए सूती कपड़े के उद्योग में महत्त्वपूर्ण नामों में से एक, जापान, भारत या अन्य देशों में पैदा हुई कपास पर निर्भर करता है। काजू के अंतर्राष्टरीय बाजार में प्रमुख, भारत, अफ़्रीकी देशों में पैदा हुए कच्चे काजू पर निर्भर करता है। हम सब जानते हैं कि अमरीका का सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग किस सीमा तक भारत और अन्य विकासशील देशों के इंजीनियरों पर निर्भर करता है। भूमंडलीकरण में केवल वस्तुओं और पूजी का ही संचलन नहीं होता अपितु लोगों का भी संचलन होता है। भूमंडलीकरण के प्रारंभिक रूप भूमंडलीकरण कोई नई चीज नहीं है। लगभग 200 ई- पूर्व से 1000 ई- तक पारस्परिक क्रिया और लंबी दूरी तक व्यापार सिल्क रूट के माध्यम से हुआ। सिल्क रूट मध्य और दक्षिण-पश्चिम एशिया में लगभग 6000 कि-मी तक फैला हुआ था और चीन को भारत, पश्चिमी एशिया और भूमईोय क्षेत्र से जोड़ता था। सिल्क रूट के साथ वस्तुओं, लोगों और विचारों ने चीन, भारत और यूरोप के बीच हजारों कि-मी की यात्रा की। 1000 ई- से 1500 ई- तक एशिया में लंबी-लंबी यात्राओं द्वारा लोगों में वैचारिक आदान-प्रदान होता रहा। इसी दौरान हिंद महासागर में समुद्रीय व्यवस्था को महत्त्व मिला।
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