Geography, asked by Bhavyasharma4613, 11 months ago

भूमिगत जलस्तर में गिरावट के दो प्रमुख कारण बताइए।

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Answered by nivabora539
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भूजल की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिये भूजल का स्तर और न गिरे इस दिशा में काम किए जाने के अलावा उचित उपायों से भूजल संवर्धन की व्यवस्था हमें करनी होगी। इसके अलावा, भूजल पुनर्भरण तकनीकों को अपनाया जाना भी आवश्यक है। वर्षाजल संचयन (रेनवॉटर हार्वेस्टिंग) इस दिशा में एक कारगर उपाय हो सकता है। हाल के वर्षों में, सुदूर संवेदन उपग्रह-आधारित चित्रों के विश्लेषण तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) द्वारा भूजल संसाधनों के प्रबन्धन में मदद मिली है। भूजल की मॉनिटरिंग एवं प्रबन्धन में भविष्य में ऐसी समुन्नत तकनीकों को और बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है।

जल हमारे ग्रह पृथ्वी पर एक आवश्यक संसाधन है। इसके बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यही कारण है कि खगोलविद पृथ्वी-इतर किसी अन्य ग्रह पर जीवन की तलाश करते समय सबसे पहले इस बात की पड़ताल करते हैं कि उस ग्रह पर जल मौजूद है या नहीं। ‘जल है तो कल है’ तथा ‘जल जो न होता तो जग खत्म हो जाता’ जैसी उक्तियों के माध्यम से हम जल की महत्ता को ही स्वीकारते हैं। पृथ्वी का तीन चौथाई यानी 75 प्रतिशत भाग जल से आच्छादित है लेकिन इसमें से पीने योग्य स्वच्छ जल की मात्रा बहुत कम है।

पृथ्वी का लगभग 97.2 प्रतिशत जल सागरों, महासागरों में समाया है। 2.15 प्रतिशत बर्फ के रूप में ग्लेशियरों में मौजूद है, 0.6 प्रतिशत भूमिगत या भौम जल के रूप में तथा 0.01 प्रतिशत नदियों और झीलों में एवं 0.001 प्रतिशत वायुमण्डल में मौजूद है। पृथ्वी पर जल 386X10 घन किलोमीटर जल भण्डार मौजूद है। यूनेस्को की सन 1994 की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें से ताजे, स्वच्छ जल की मात्रा केवल 35.03X106 घन किलोमीटर है। यह पृथ्वी पर मौजूद कुल जल भंडार का मात्र 0.01 प्रतिशत है।

जल का उपयोग बहते हुए जल, रुके हुए जल या भूजल के विभिन्न रूपों में होता है। नदी-नाले, झील आदि बहते हुए जल के उदाहरण हैं। नदी पर बाँध बनाकर हम इसका उपयोग विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं। पाइप लाइनों द्वारा जल की आपूर्ति करना तथा तालाब से जल प्राप्त करना रुके हुए जल के उपयोग के उदाहरण हैं। भूजल, जिसे भूमिगत या भौमजल कहना ही उचित है, जमीन के अन्दर होता है। भूमिगत जलस्रोत का इस्तेमाल कुओं की खुदाई अथवा हैंडपम्पों और ट्यूबवेलों द्वारा भी किया जा सकता है। तालाबों और कुओं में एक विशेष अन्तर यह होता है कि जहाँ कुओं द्वारा केवल भूमिगत जलस्रोत का ही उपयोग होता है वहीं तालाबों में भूमिगत जल के अलावा बाहरी जल का जमाव भी हो जाता है। यह बाहरी जल वर्षा का जल हो सकता है और बाढ़ या नदी का बरसाती जल भी।

जल का उपयोग पेयजल तथा सिंचाई, पशुपालन, परिवहन, उद्योग, जलविद्युत उत्पन्न करने तथा मत्स्य पालन आदि विभिन्न कार्यों में होता है। पेयजल, सिंचाई तथा उद्योगों में भूमिगत जल यानी ग्राउंड वॉटर का व्यापक तौर पर इस्तेमाल होता है। गाँवों में, जहाँ आज भी 80 प्रतिशत लोगों को नल का पानी उपलब्ध नहीं है, पेयजल के लिये भूमिगत जल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसे कुओं, हैंडपम्पों तथा ट्यूबवेलों द्वारा प्राप्त किया जाता है। भारत में कृषि कार्य के लिये किसान भूमिगत जल पर ही निर्भर हैं। इस समय देश में 50 प्रतिशत से भी अधिक सिंचाई भूमिगत जल से होती है। उद्योगों में भी भूमिगत जल की बड़ी माँग है। खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) से लेकर वस्त्र उद्योगों तक में भूमिगत जल का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है।

 

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