भूमिका पर निबंध लिखे 30 से40 शब्द में
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फल तथा सब्जी लेकर शहर की ओर जाते हुए नज़र आते हैं।
‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क होता है‘ अंग्रेज़ी भाषा का यह कथन सत्य सिद्ध होता है। यदि शरीर अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रसित है, तो मस्तिष्क भी मंद एवं बीमार होता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस प्रकार भोजन बहुत आवश्यक होता है, उसी प्रकार व्यायाम की भी आवश्यकता होती है। केवल संतुलित भोजन लेने से ही शरीर में स्फूर्ति और ताज़गी रहती है, अपितु व्यायामक रने से शरीर चुस्त रहता है। व्यायाम का एक रूप प्रातःकाल भ्रमण भी है। प्रातःकाल भ्रमण करने से भी शरीर स्वस्थ एवं कांतिमय बना रहता है।
प्रातःकाल भ्रमण का अर्थ है- प्रातःकाल के समय घूमना या सैर करना। ‘प्रातःकाल का समय‘ का अर्थ है- सूर्य उदय होने से पूर्व का समय, अर्थात जब रात का अँधेरा मिटने लगता है। प्रातः काल का अर्थ अँधरे में उठना नहीं होता है और न धूप निकलने के बाद के समय को ही प्रातःकाल कहा जाता है। भ्रमण का अर्थ है, धीरे-धीरे चहलकदमी करते हुए टहलना, भ्रमण का अर्थ दौड़ना भी नहीं है। ठीक ढंग से अपनी उम्र के अनुसार घूमना ही भ्रमण है, इसमें न तो बहुत ही धीमी गति से चलना होता है और न ही बहुत तेज़ गति से। प्रातःकाल के भ्रमण में इस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है, कि घूमने के लिए ऐसे स्थानों का चुनाव किया जाए, जो धूल से रहित हों तथा पेड़-पौधों से युक्त हों। इससे वहाँ का वातावरण और वायु स्वच्छ रहती है। लोग विशेषतः प्रातःकाल उद्यानों में भ्रमण करते हैं।
प्रातःकाल का दृश्य वास्तव में बहुत ही सुंदर और मन को लुभाने वाला होता है। मार्ग का वातावरण बड़ा सुंदर होता है। पक्षी अपने घोंसलों को छोड़ने की तैयारी में होते हैं। चंद्रमा और तारे रात-भर पहरा देकर जाने वाले होते हैं। सूर्य देवता पूर्व दिशा में आने की तैयारियाँ कर रहे हैं। शहर से बाहर खुले वातावरण में पहुँच कर यह आनंद और भी बढ़ जाता है। किसान भी हल और बैल लेकर खेतों की ओर चल देते हैं। बैलों के गले में बँधी घंटियाँ मधुर ध्वनि उत्पन्न करती हैं। गाँवों के लोग सब्ज़ियाँ तथा दूध लिए शहर को आ रहे होते हैं। इस समय के सुंदर दृश्यों में पक्षियों के गीत मन को बहुत प्रिय लगते हैं।