Hindi, asked by starshraddha3221, 2 months ago

भूमा का सुग और उसकी महत्ता का जिसको आभास मात्र हो जाता है, उसको ये नश्वर चमकीले प्रदर्शन नहीं अभिभूत कर सकते, दूत! वह किसी बलवान की इच्छा का क्रीड़ा कंदूक नहीं बन सकता! m.a. फर्स्ट ईयर हिंदी गद्यांश क्वेश्चन संदर्भ प्रसंग व्याख्या

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Answered by jyotijeevan892
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गद्यांश का संदर्भ व्याख्या

Answered by bhatiamona
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भूमा का सुख और उसकी महत्ता का जिसको आभास मात्र हो जाता है, उसको ये नश्वर चमकीले प्रदर्शन नहीं अभिभूत कर सकते, दूत! वह किसी बलवान की इच्छा का क्रीड़ा कंदूक नहीं बन सकता!

हिंदी गद्यांश क्वेश्चन संदर्भ प्रसंग व्याख्या

प्रसंग : यह गद्यांश जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित 'चंद्रगुप्त' नामक उपन्यास से लिया गया है। यह प्रसंग उस समय का है, जब उपन्यास का एक पात्र दाण्डयायन एनिसाक्रीटिज  से बात कर रहा है।

व्याख्या : दाण्डयायन हंसकर कह रहा है, जिसको परम सत्य ईश्वर के सुख और उसके महत्व का पता चल जाता है, जो ईश्वर के शुभ को समझ लेता है, उसको प्रिय नश्वर संसार जरा भी अच्छा नहीं लगता। बड़ी से बड़ी इच्छा उसका कुछ नहीं कर सकती। वह इच्छाओं का गुलाम नहीं रहता। तुम्हारा राजा अभी मात्र जेहलम भी पार नहीं कर पाया है। फिर भी वह पूरे संसार को जीतने की ख्वाहिश रखता है।

#SPJ2

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