Hindi, asked by geom, 1 year ago

भूमिपुत्र की आत्मकहानी पर निबंध

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Answered by yAshay11
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geom: need some big
Answered by sruchi17maurya
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भूमिपुत्र की आत्मकथा

में इतनी अनमोल हूँ इसलिए ,मेरा प्रयोग बहुत सावधानी से सोच - समझकार करना चाहिए । कहा गया है :

गाँव में हमारी जन्मभूमि है और धरती से अन्न पैदा करना मेरा कर्म है । इसलिए आपको अपना परिचय देने की आवश्यकता ही नहीं , क्योंकि अन्न पैदा करनेवाला तो किसान ही होता है ।

बचपन में मेरी पढ़ाई गाँव की एक पाठशाला में हुई । मैंने केवल पाँचवी कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त की है । मैं आस - पड़ोस के बच्चों तथा अपने सहपाहियों के साथ छोटे - मोटे खेल जैसे आँखमिचौनी , गुल्ली डंडा , खो - खो , कबड्डी , आदि खेल खेलकर बड़ा हो गया । मुझे इस बात का गर्व है कि मैं अँगूठाटेक किसान नहीं हूँ । मेरी पढ़ाई मेरे जीवन में अक्सर काम आती रहीं ।

मैं पिताजी के साथ कभी - कभी कुछ घंटे खेतों पर भी काम करता था । पाँचवी कक्षा पास करने के बाद मेरा अधिक समय खेतों पर ही काम करते बीतता । धीरे - धीरे हल चलाना , निराई करना , सिंचाई करना , बीज बोना आदि सारे काम मैने सीख लिए । पिताजी को मुझसे बहुत सहयोग मिला । धीरे - धीरे मैने खेतों की सारी जिम्मेदारी सँभाल ली ।

चौदह वर्ष की अल्पायु में ही मेरी शादी कर दी गई । मेरी जिम्मेदारियाँ बढ़ गई थी । सत्रह वर्ष की अवस्था में मैं दो बच्चों का पिता बन गया । बेटा बडा था और बेटी छोटी । पिताजी अब खेती की ओर से निश्चिंत हो गए  थे ।

प्रतिदिन सुबह मैं सबसे पहले जानवरों को चारा खिलाता , नहा - धोकर , नाश्ता करके शीघ्र ही जानवरों को लेकर खेतों पर चला जाता । अब तो मेरी शादी के भी कई वर्ष बीत चुके थे । बच्चे भी बड़े हो गए थे । मैने अपने बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए उन्हें शिक्षा प्रदान की । संघर्ष करके बेटे को शहर भेजकर उच्च शिक्षा प्रदान की तथा बेटी को भी कक्षा 10 तक पढ़ाया । बेटा सरकारी नौकरी पा गया है । मेरे पिताजी अपने शिक्षित पोते पोती को देखकर फ्राहुत खुश हो जाते थे।

धीरे - धीरे पिताजी का स्वास्थ्य जवाब देने लगा और लंबी बीमारी ने उन्हे कमजोर बना दिया । वे बीमारी को अधिक दिनों तक न झेल सके और उनकी मृत्यु हो गई । मैं अपनी बूढ़ी माँ , पत्नी और बच्चों की जिम्मेदारी निभाते हुए खेती करता हूँ । ईश्वर की कृपा से खेतों में फसल भी अच्छी होती है ।

हम किसानों का जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर है । अच्छी बरसात होने पर फसल अच्छी हो जाती है । सूखा पड़ने पर गाँव के किसानों को बड़ी परणानी भुगतनी पड़ती है । मेरा बेटा अब पूरी तरह से गांव के विकास में मदद करने लगा । अब सरकार की ओर से प्रदान की जानेवाली सारी सुविधाएँ हम किमानों को मिलती है । बोने के लिए अच्छे किस्म के बीज , खाद , सिंचाई के लिए ट्यूबबल आज सब कुछ है । गाँव में तो अब बिजली भी आ गई है । यह सब मेरे शिक्षित बेटे के प्रयासों का प्रतिफल है ।

मैं स्वयं को किसान के रूप में सौभाग्यशाली मानता हूँ । लोगों से प्रार्थना है कि वे किमान की परेशानी को समझे । मै मेहनत करके लोगों के लिए अनाज पैदा करता हूँ ।

जब तक मरे शरीर में शक्ति है , में धरती माता की सेवा करता रहूँगा । मेरे बेटे ने मेरी मदद के लिए एक नौकर भी रख दिया है ।

आज मैं काफी सुखी व संतुष्ट हूँ । गाँव को अशिक्षा व नशाखोरी से मुक्त कराना भी मेरा सपना है जिसे पूरा करने के लिए मैने गाँव के लोगों को संगिठित कर लिया है ।

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