भुमी पुत्र कि आत्मकथा (निबंध)
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मैं सुबह से लेकर शाम तक खेतों में काम करता हूं. मौसम चाहे कैसा भी हो मुझे हर वक्त कार्य करते रहना पड़ता है. गर्मियों की चिलचिलाती धूप में काम करना आसान नहीं होता लेकिन फिर भी मैं कठिन परिश्रम करता हूं मेरा पसीना किसी झरने की तरह मस्तक से पांव की ओर बहता रहता है.
दिन भर धूप में चलने के कारण मेरे पैर बंजर भूमि के समान फट जाते है एक फटी दरारों में बहुत असहनीय दर्द होता है
लेकिन मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं रहती है क्योंकि मुझे पता है मेरी बहाई गई पसीने की एक एक बूंद मेरे जीवन में खुशियां भर देगी. जब सर्दियों का मौसम आता है तो बहुत कड़ाके की ठंड पड़ती है उस समय सब लोग रजाई ओढ़ कर घरों में सोते रहते है.
लेकिन मैं खेतों में जाकर रात भर आवारा जानवरों से अपनी फसल की रक्षा करता हूं और फसल को पानी देता हूं. कभी-कभी तो मुझे तेज बुखार होती है लेकिन इस पापी पेट के आगे बुखार भी नरम पड़ जाती है. मेरे जीवन का ज्यादातर समय खेतों में ही बीत जाता है.
पुराने जमाने में मेरी स्थिति अच्छी थी मैं दो वक्त का भोजन जुटा लेता था लेकिन वर्तमान मैं मेरी स्थिति और भी खराब हो गई है.
आज फसल बोने के लिए बीज का मूल्य भी अधिक हो गया है और खाद तो देखने को भी नहीं मिलती फिर भी मैं इन सब को खरीदने के लिए इधर-उधर से उधार लेकर बड़ी मुश्किल से बीज और खाद लेकर आता हूं. फिर दिन रात लगकर खेतों की भूमि को उपजाऊ बनाता हूं.
बारिश के आने से पहले खेतों में बीज बो देता हूं हर दिन जा कर देखता हूं कि बीज अंकुरित हुए कि नहीं जिस दिन किसी बीच में से छोटी-छोटी पत्तियां निकलती हैं उस दिन मुझे बहुत अच्छा लगता है उसी दिन से मैं उनका ख्याल अपनी संतान से बढ़कर रखता हूं.
लेकिन मेरी किस्मत इतनी खराब है कि कभी बारिश आती ही नहीं तो कभी इतनी अधिक हो जाती है कि मेरी पूरी फसल बर्बाद हो जाती है.
फसल बर्बाद होने के कारण मेरे परिवार का भरण पोषण नहीं हो पाता है हमारी जिंदगी भिखारी से भी बदतर हालत हो जाती है. लेकिन मन में कहीं ना कहीं आस रहती है कि अगली फसल अच्छी होगी इसलिए मैं फिर से मेहनत करता हूं.
फिर वह दिन आ ही जाता है जिस दिन मेहनत रंग लाती है और फसल अच्छी होती है खेतों में लहराती फसल को देखकर मुझे इतनी खुशी होती है जितनी कि किसी को स्वर्ग में जाकर भी नहीं होगी. खेतों में लहराती हुई फसल को हरा सोना भी कहते है लेकिन मेरे लिए तो यह है स्वर्ण सोने से भी बढ़कर है.
संसार भर के लोग मुझे अन्नदाता कहते है लेकिन मेरी मुश्किलों में मेरा साथ नहीं देते मैं यह नहीं कहता कि मेरे साथ आकर खेतों में काम करो लेकिन जब मेरी फसल खराब हो जाती है तो मुझे मुआवजा तक नहीं मिलता और ऊपर से महाजनो और बैंकों का ब्याज मेरे ऊपर पहाड़ बनकर टूट पड़ता है.
तंगहाली से तंग आकर पूरी जिंदगी भर जिस खेत को मैंने अपनी संतान से भी बढ़कर प्यार किया उपजाऊ बनाया आज उसी को बेचना पड़ रहा है यह मेरे जीवन का अत्यंत कठिन पल है लेकिन मैं और कर भी क्या सकता हूं मैं अपने परिवार को लोगों के ताने सुनते और भूखा नहीं देख सकता हूं.
राजनीतिक पार्टियां हर बार हमारी सहायता करने के लिए वादे तो करती है लेकिन कभी भी साथ खड़ी नजर नहीं आती है. वे तो हमारी तंगहाली पर अपनी राजनीति की रोटियां सेकते है. बात यहीं पर खत्म नहीं होती जब हम अपना हक मांगने जाते हैं तो जिन्होंने हमारे साथ खड़े होने का वादा किया था वही लोग हमारे ऊपर लाठी चार्ज करवाते है.
चलो हम यह सब सह लेते हैं लेकिन कभी कभी हमारी जमीन पर बड़े-बड़े भू माफियाओं की नजर रहती हैं वे हमारी भूमि पर कब्जा कर लेते है और वहां पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और फैक्ट्रियां लगा देते है.
मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि अगर किसी को बिल्डिंग और फैक्ट्री लगानी है तो उपजाऊ भूमि का अधिकरण क्यों करते है फैक्ट्रियां और बिल्डिंग तो बंजर भूमि पर भी बन सकती है फिर हमारे पेट पर लात क्यों मारी जाती है.
मैं मुश्किलों और मेहनत करने से नहीं घबराता मेरा खेतों मेहनत करना मैं ईश्वर की पूजा करना मानता हूं क्योंकि जो व्यक्ति किस्मत से हार कर बैठ जाता है उसका साथ सब छोड़ देते हैं फिर ईश्वर भी इसमें क्या कर सकता है.
इसलिए मैं हर वक्त मुश्किलों से लड़ता रहता हूं और निरंतर अपना कार्य करता रहता हूं जिसे पूरी दुनिया का भरण पोषण होता रहता है.
मैं बस यही चाहता हूं कि मेरी मुश्किल घड़ी में आप भी मेरे साथ खड़े हो क्योंकि अगर आप हमारे साथ नहीं खड़े होंगे तो वह दिन दूर नहीं जब आप सब लोग बिना किसानों के रोटी-रोटी को मोहताज हो जाओगे.
शिक्षा –
किसान के जीवन से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी कठिनाइयों से घबराकर अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटना चाहिए एक किसान की तरह बार-बार लगन से मेहनत करनी चाहिए फिर आपको जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है.
दिन भर धूप में चलने के कारण मेरे पैर बंजर भूमि के समान फट जाते है एक फटी दरारों में बहुत असहनीय दर्द होता है
लेकिन मुझे इस बात की कोई चिंता नहीं रहती है क्योंकि मुझे पता है मेरी बहाई गई पसीने की एक एक बूंद मेरे जीवन में खुशियां भर देगी. जब सर्दियों का मौसम आता है तो बहुत कड़ाके की ठंड पड़ती है उस समय सब लोग रजाई ओढ़ कर घरों में सोते रहते है.
लेकिन मैं खेतों में जाकर रात भर आवारा जानवरों से अपनी फसल की रक्षा करता हूं और फसल को पानी देता हूं. कभी-कभी तो मुझे तेज बुखार होती है लेकिन इस पापी पेट के आगे बुखार भी नरम पड़ जाती है. मेरे जीवन का ज्यादातर समय खेतों में ही बीत जाता है.
पुराने जमाने में मेरी स्थिति अच्छी थी मैं दो वक्त का भोजन जुटा लेता था लेकिन वर्तमान मैं मेरी स्थिति और भी खराब हो गई है.
आज फसल बोने के लिए बीज का मूल्य भी अधिक हो गया है और खाद तो देखने को भी नहीं मिलती फिर भी मैं इन सब को खरीदने के लिए इधर-उधर से उधार लेकर बड़ी मुश्किल से बीज और खाद लेकर आता हूं. फिर दिन रात लगकर खेतों की भूमि को उपजाऊ बनाता हूं.
बारिश के आने से पहले खेतों में बीज बो देता हूं हर दिन जा कर देखता हूं कि बीज अंकुरित हुए कि नहीं जिस दिन किसी बीच में से छोटी-छोटी पत्तियां निकलती हैं उस दिन मुझे बहुत अच्छा लगता है उसी दिन से मैं उनका ख्याल अपनी संतान से बढ़कर रखता हूं.
लेकिन मेरी किस्मत इतनी खराब है कि कभी बारिश आती ही नहीं तो कभी इतनी अधिक हो जाती है कि मेरी पूरी फसल बर्बाद हो जाती है.
फसल बर्बाद होने के कारण मेरे परिवार का भरण पोषण नहीं हो पाता है हमारी जिंदगी भिखारी से भी बदतर हालत हो जाती है. लेकिन मन में कहीं ना कहीं आस रहती है कि अगली फसल अच्छी होगी इसलिए मैं फिर से मेहनत करता हूं.
फिर वह दिन आ ही जाता है जिस दिन मेहनत रंग लाती है और फसल अच्छी होती है खेतों में लहराती फसल को देखकर मुझे इतनी खुशी होती है जितनी कि किसी को स्वर्ग में जाकर भी नहीं होगी. खेतों में लहराती हुई फसल को हरा सोना भी कहते है लेकिन मेरे लिए तो यह है स्वर्ण सोने से भी बढ़कर है.
संसार भर के लोग मुझे अन्नदाता कहते है लेकिन मेरी मुश्किलों में मेरा साथ नहीं देते मैं यह नहीं कहता कि मेरे साथ आकर खेतों में काम करो लेकिन जब मेरी फसल खराब हो जाती है तो मुझे मुआवजा तक नहीं मिलता और ऊपर से महाजनो और बैंकों का ब्याज मेरे ऊपर पहाड़ बनकर टूट पड़ता है.
तंगहाली से तंग आकर पूरी जिंदगी भर जिस खेत को मैंने अपनी संतान से भी बढ़कर प्यार किया उपजाऊ बनाया आज उसी को बेचना पड़ रहा है यह मेरे जीवन का अत्यंत कठिन पल है लेकिन मैं और कर भी क्या सकता हूं मैं अपने परिवार को लोगों के ताने सुनते और भूखा नहीं देख सकता हूं.
राजनीतिक पार्टियां हर बार हमारी सहायता करने के लिए वादे तो करती है लेकिन कभी भी साथ खड़ी नजर नहीं आती है. वे तो हमारी तंगहाली पर अपनी राजनीति की रोटियां सेकते है. बात यहीं पर खत्म नहीं होती जब हम अपना हक मांगने जाते हैं तो जिन्होंने हमारे साथ खड़े होने का वादा किया था वही लोग हमारे ऊपर लाठी चार्ज करवाते है.
चलो हम यह सब सह लेते हैं लेकिन कभी कभी हमारी जमीन पर बड़े-बड़े भू माफियाओं की नजर रहती हैं वे हमारी भूमि पर कब्जा कर लेते है और वहां पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग और फैक्ट्रियां लगा देते है.
मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि अगर किसी को बिल्डिंग और फैक्ट्री लगानी है तो उपजाऊ भूमि का अधिकरण क्यों करते है फैक्ट्रियां और बिल्डिंग तो बंजर भूमि पर भी बन सकती है फिर हमारे पेट पर लात क्यों मारी जाती है.
मैं मुश्किलों और मेहनत करने से नहीं घबराता मेरा खेतों मेहनत करना मैं ईश्वर की पूजा करना मानता हूं क्योंकि जो व्यक्ति किस्मत से हार कर बैठ जाता है उसका साथ सब छोड़ देते हैं फिर ईश्वर भी इसमें क्या कर सकता है.
इसलिए मैं हर वक्त मुश्किलों से लड़ता रहता हूं और निरंतर अपना कार्य करता रहता हूं जिसे पूरी दुनिया का भरण पोषण होता रहता है.
मैं बस यही चाहता हूं कि मेरी मुश्किल घड़ी में आप भी मेरे साथ खड़े हो क्योंकि अगर आप हमारे साथ नहीं खड़े होंगे तो वह दिन दूर नहीं जब आप सब लोग बिना किसानों के रोटी-रोटी को मोहताज हो जाओगे.
शिक्षा –
किसान के जीवन से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी कठिनाइयों से घबराकर अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटना चाहिए एक किसान की तरह बार-बार लगन से मेहनत करनी चाहिए फिर आपको जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है.
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