भूमि संरक्षण पर प्रोजेक्ट
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भूमि संरक्षण–
देश में कृषि संबंधी पैदावार बढ़ाने के लिए भूमि संरक्षण के लिए आवश्यक प्रयास करना बड़ा महत्वपूर्ण काम है। ये कार्यक्रम प्रथम योजना के दौरान शुरू किए गए थे। शुरू से ही इस क्षेत्र में समस्याओं के पहचान के लिये तकनीक का विकास और नीति समन्वय निकाय के कानून और संविधान का समुचित उपयोग पर जोर दिया जाता है। मृदा और जल संरक्षण की गतिविधियों का वैचारिक ढांचा बदल गया है। प्रत्येक पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान इन कार्यक्रमों की अवधारणाओं में व्यापक सुधार किया गया है।
नदी घाटी परियोजनाओं (आरवीपी) के जलग्रहण क्षेत्र (कैच्मेंट्स) में भूमि संरक्षण के लिये केंद्र-प्रायोजित योजना तीसरी पंचवर्षीय योजना में शुरू की गयी थी। इसके पश्चात, 1978 में बाढ़ की विभीषिका को ध्यान में रखते हुए छठवीं पंचवर्षीय योजना में बाढ़ संभावित नदी योजना की शुरुआत की गयी थी। इन दोनों योजनाओं का नौवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान व्यय वित्त समिति की सिफारिश पर विलय कर दिया गया था और नवंबर 2000 के बाद से वृहद प्रबंधन विधि के अंतर्गत सम्मिलित कर लिये गए थे। कैचमेंट मैनेजमेंट ऑफ़ रीवर वैली प्रोजेक्ट एंड फ्लड प्रोन रिवर्स के कार्यक्रम के अंतर्गत 27 राज्यों में 53 कैचमेंट्स को शामिल किया गया है। कुल जलग्रहण क्षेत्र 141 मिलियन हेक्टेयर है जिसमे प्राथमिकता के आधार पर 2.8 करोड़ हेक्टेयर भूमि को तत्काल बचाए जाने की जरूरत है। वर्ष 2004-05 के दौरान 1894 करोड़ रुपए की लागत से इसमें से 6.08 हेक्टेयर भूमि का निदान किया जा चुका है। वर्ष 2005-06 के दौरान 0.17 मिलियन हेक्टेयर भूमि 145 करों रुपये की लागत से ठीक की जा चुकी है
देश में कृषि संबंधी पैदावार बढ़ाने के लिए भूमि संरक्षण के लिए आवश्यक प्रयास करना बड़ा महत्वपूर्ण काम है। ये कार्यक्रम प्रथम योजना के दौरान शुरू किए गए थे। शुरू से ही इस क्षेत्र में समस्याओं के पहचान के लिये तकनीक का विकास और नीति समन्वय निकाय के कानून और संविधान का समुचित उपयोग पर जोर दिया जाता है। मृदा और जल संरक्षण की गतिविधियों का वैचारिक ढांचा बदल गया है। प्रत्येक पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान इन कार्यक्रमों की अवधारणाओं में व्यापक सुधार किया गया है।
नदी घाटी परियोजनाओं (आरवीपी) के जलग्रहण क्षेत्र (कैच्मेंट्स) में भूमि संरक्षण के लिये केंद्र-प्रायोजित योजना तीसरी पंचवर्षीय योजना में शुरू की गयी थी। इसके पश्चात, 1978 में बाढ़ की विभीषिका को ध्यान में रखते हुए छठवीं पंचवर्षीय योजना में बाढ़ संभावित नदी योजना की शुरुआत की गयी थी। इन दोनों योजनाओं का नौवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान व्यय वित्त समिति की सिफारिश पर विलय कर दिया गया था और नवंबर 2000 के बाद से वृहद प्रबंधन विधि के अंतर्गत सम्मिलित कर लिये गए थे। कैचमेंट मैनेजमेंट ऑफ़ रीवर वैली प्रोजेक्ट एंड फ्लड प्रोन रिवर्स के कार्यक्रम के अंतर्गत 27 राज्यों में 53 कैचमेंट्स को शामिल किया गया है। कुल जलग्रहण क्षेत्र 141 मिलियन हेक्टेयर है जिसमे प्राथमिकता के आधार पर 2.8 करोड़ हेक्टेयर भूमि को तत्काल बचाए जाने की जरूरत है। वर्ष 2004-05 के दौरान 1894 करोड़ रुपए की लागत से इसमें से 6.08 हेक्टेयर भूमि का निदान किया जा चुका है। वर्ष 2005-06 के दौरान 0.17 मिलियन हेक्टेयर भूमि 145 करों रुपये की लागत से ठीक की जा चुकी है
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