भिन्न न हो। निशा = रात। श्रेय = श्रेष्ठ, मंगलदायक धर्म, र
बाल, जोश। अभय = निडर, निर्भय । शोषित = जिसका शोषण
थित = दु:खी। किरीट = मुकुट।
1.
जीवन में फिर नया विहान हो,
एक प्राण, एक कंठ गान हो!
बीत अब रही विषाद की निशा,
दिखने लगी प्रयाण की दिशा,
गगन चूमता अभय निशान हो!
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I don't know
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sorry please
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पता नहीं answer क्या है अगर मिलेगा तो जरूर एडिट करके आंसर देंगे
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