Hindi, asked by rpal67875, 5 months ago

भानावशिष्ट ना अर्थ बताइये?​

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Answered by piyushsharm31
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hiii mate

भवान्यष्टकम् आद्यगुरु शंकराचार्य की रचना है, जिसमें उन्होंने संसार के सारे रिश्ते-नाते, ऐश्वर्य, स्वयं का सामर्थ्य इन सबको तुच्छ बताते हुए एकमात्र मात भवानि अपनी गति कहा है। इस स्तोत्र का फल क्या है, मुझे नहीं मालूम, परन्तु देवी भक्तों के लिये यह सर्वसिद्धिदायी है, यह मेरा विश्वास है

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