भूपाल: पृथुवैन्य: नाम धरायां प्रथमः
अभिषिक्त: सम्राट् । प्रयागक्षेत्रे पृथुनृपस्यपाल
राजधानी आसीत् राज्याभिषेकसमये ।
चारणा: पृथुनृपस्य स्तुति गातुमुत्सुकाः
तदा पृथुः आज्ञापयत्, “तिष्ठन्तु चारणाः!
यावत् मम सद्गुणा: न प्रकटीभवन्ति
तावदह न स्तोतव्यः। स्तवनं तु ईश्वरस्यैव
भवेत्।” स्तुतिगायकाः पृथुनृपस्य
एतादृशीं नि:स्पृहतां ज्ञात्वा प्रसन्नाः
अभवन्। भुतक
एकदा पृथुराजः स्वराज्ये भ्रमणम्
= । ता: प्रजा: पशुवज्जीवन्ति । निकृष्टानं
- “हे राजन्, धनधान्यादि सर्व वस्तुजातं i
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I am not understand your question brother.. but I am giving here it's translation in Hindi
पृथुवैन्य नाम का एक राजा था,जो पहिला राजा था जिसका राज्याभिषेक हुआ होगा। प्रयाग क्षैत्र मै राजापृथुवैन्य की राजधानी थी। राज्यभिषेक के समय भाटक उनकी स्तुती गाने के लिए उत्सुक थे। तभी राजा ने उनको रोका और कहा महिमा तो सिर्फ भगवान की गाणी चाहिये मे तो केवल एक मनुष्य हूं।
राजा यह वाणी सुनकर भाट प्रसन्न हो गये। राजा का नि:स्वार्थ मन वो जान गये।
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bhupal: pruthunrupshya stuti gatumutsuka
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