'भूप सहस दस एकहिं बारा। लगे उठावन टरत न टारा ।।
चंचला सनान कर आए, चंद्रिका पर्व में जैसे।
ये दोनो कौन सा अलंकार का उदाहरण है ?
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Answer:
भूप सहस दस एकहि बारा में कौन सा अलंकार है? ... पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार होता है। धनुभंग के समय दस हजार राजा एक साथ ही उस धनुष शिव-धनुष को उठाने लगे, पर वह तनिक भी अपनी जगह से रहीं हिला। यहां लोक-सीमा से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है, अतएव अतिशयोक्ति अलंकार है।
लगे उठावन टरत न टारा ।।
लगे उठावन टरत न टारा।। धनुर्भंग के समय दस हजार राजा एक साथ ही उस धनुष (शिव-धनुष) को उठाने लगे, पर वह तनिक भी अपनी जगह से नहीं हिला। यहाँ लोक-सीमा से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है, अतएव अतिशयोक्ति अलंकार है। चंचला स्नान कर आए, चंद्रिका पर्व में जैसे।।
चंचला सनान कर आए, चंद्रिका पर्व में जैसे।
अतः यह बात बढ़ा-चढ़ाकर बोली गयी है। अतएव यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा। चंचला स्नान कर आये, चन्द्रिका पर्व में जैसे। उस पावन तन की शोभा, आलोक मधुर थी ऐसे।।
Solution:
'भूप सहस दस एकहिं बारा। लगे उठावन टरत न टारा ।।
– धनुभृंग के समय दस हज़ार राजा एक साथ ही उस धनुष (शिव - धनुष) को उठाने लगे, पर वह तनिक भी अपनी जगह से नहीं हिला। यहां लोक सीमा से अधिक बढ़ा - चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
मतलब ये अतिशयोक्ति अलंकार है।
दूसरा वक्या :-
पूरा वाक्य :
चंचला सनान कर आए, चंद्रिका पर्व में जैसे।
उस पावन तन की शोभा, आलोक मधुर थी ऐसे।।
यहां पर भी नायिका के रूप सौंदर्य का बढ़ाकर वर्णन किया गया है।
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अथवा दोनो ही अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण हैं।
अतिशयोक्ति अलंकार क्या होता है?
जहां किसी वस्तु, पदार्थ अथवा कथन (उपमेय) का वर्णन लोक - सीमा से बढ़ाकर प्रस्तुत किया जाए, वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
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