भूपत्रक मानचित्र संख्या 63 K/12 के प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए
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इस प्रकार प्रत्येक अंश चित्र 15 मिनट अक्षांश एवं 15 मिनट देशान्तर को प्रकट करता है। इनका मापक एक इंच बराबर एक मील होता है जिस कारण इन्हें एक इंच भू-पत्रक भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए,63 (K/12) का अभिप्राय 63वाँ पत्रक है। फिर उसका K अंश लेते हैं तथा पुन: Kअंश का 12वाँ भाग लेते हैं।
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इस प्रकार प्रत्येक अंश चित्र 15 मिनट अक्षांश एवं 15 मिनट देशान्तर को प्रकट करता है। इनका मापक एक इंच बराबर एक मील होता है जिस कारण इन्हें एक इंच भू-पत्रक भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए,63 (K/12) का अभिप्राय 63वाँ पत्रक है। फिर उसका K अंश लेते हैं तथा पुन: Kअंश का 12वाँ भाग लेते हैं।
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स्थलाकृतिक मानचित्र निर्वचन का क्या अर्थ है
स्थलाकृतिक मानचित्र निर्वचन का अर्थ इन मानचित्रों को पढ़ना , समझना और व्याख्या करना है और अध्ययन करना शामिल होता है| जो मानचित्र पर दिखाए गए अनेक लक्षणों के बीच संबद्ध को समझने में सहायता करते है| उदाहरण के लिए स्थलाकृतिक मानचित्रों की सहायता से प्राकृतिक वनस्पतियों के वितरण को परिवहन के साधनों और स्थलाकृतिकयों के द्वार पहचाना जा सकता है |
स्थलाकृतिक मानचित्र एक दीर्घ मापक पर निर्मित बहुउद्देशीय मानचित्र होता है , जो भूतल के छोटे-छोटे भाग को दर्शाता है| इस पर प्राकृतिक लक्षण जैसे जल-प्रवाह , धरातल , वनस्पति आदि और मानवीय लक्षण ,जैसे गाँव , नगर नहरें तथा सड़कों को विस्तारपूर्वक दर्शाया जाता है|
निम्नलिखित चरण और विधियाँ मानचित्रों की व्याख्या में सहायता प्रदान करते है
स्थलाकृतिक मानचित्र में स्थलाकृतिक शीट सूचक संख्या के अनुसार भारत में इसकी अवस्थिति ज्ञात की जा सकती है| इससे बृहत और माध्यम स्तर वाले भू-आकृति विभागों की सामान्य विशेषताओं की भी जानकारी मिलती है|
प्रारंभिक सूचना- इस के अंतर्गत मानचित्र में राज्य , जिला , संस्था , वर्ष , मापक आदि| समस्त प्रारंभिक सूचनाओं को सरलता से समझ लिया जाता है|
उच्चावच और जल-प्रवाह – भू-पत्रकों में समोच्च रेखाओं द्वारा धरातल की संरचना तथा ढाल प्रकट किया जाता है|
प्राकृतिक वनस्पति = भू-पत्रकों पर विभिन्न रंगों द्वारा वनस्पति के विभिन्न प्रकार और उनका वितरण प्रकट किया जाता है| पीले रंग से कृषि क्षेत्र तथा हरे रंग से प्राकृतिक वनस्पति , घास , झाड़ियाँ तथा वृक्ष आदि प्रदर्शित किए जाते है|
सिंचाई के साधन = भू-पत्रकों में झील ,तालाब, कुँए नदियों तथा नहरों का चित्रण प्राय: नील रंग से किया जाता है, जिस ने सिंचाई साधनों का ज्ञान हो जाता है| यदि पत्रक में सिंचाई के साधन नहीं दिए गए है तो इसका अर्थ हुआ कि कृषि वर्षा पर ही निर्भर करती है|
यातायात के साधन = इन पत्रकों में रेलमार्गों , सड़क-मार्गो , पगडंडियों तथा वायुमार्गो को परम्परागत चिन्हों द्वारा प्रकट किया जाता है , जिन के द्वारा क्षेत्र-विशेष में यातायात मार्गो और उन पर संचलित परिवहन साधनों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है|
जनसंख्या का वितरण : भू-पत्रकों में बस्तियों की स्थिति से मानव-अधिवास के ठंग का सामान्य ज्ञान प्राप्त हो जाता है| सघन और विरल जनसंख्या द्वारा ग्रामीण और नगरीय बस्तियों का अध्ययन किया जा सकता है|
ऐतिहासिक स्वरूप: इन भू-पत्रकों में युद्ध-स्थल , किला , राजधानियां , ऐतिहासिक स्थलों तथा और अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों का बोध होता है|
जनसंख्या का वितरण : भू-पत्रकों में नगरीय तथा ग्रामीण अधिवासों की व्यापकता को देखकर जनसख्याँ के वितरण को समझा जा सकता है|
उद्योग-धन्धे – भू-पत्रकों के अध्ययन द्वारा मानवीय क्रियाकलयों: जैसे , कृषि , पशुचारण तथा कला का ज्ञान भी प्राप्त होता है| वनों का शोषण करते हैं , खनन कार्य करते है, मछली पकड़ते है , या भरी उद्योग भारी-धन्धे चलाते है|
सभ्यता और संकृति : इन भू-पत्रकों में स्कूल , मंदिर , मस्जिद , गिरजाघर , गुरुद्वारा , चिकित्सालय, रेलवे स्टेशन भवन , धर्मशालाएं आदि चिन्ह की सहायता से दर्शाए जाते है|
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