भैरा देखा जाए जरा उधर पहले ब्रांच
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आम बजट में वित्त मंत्री जी ने कृषि , ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार एम.एस.एम.ई. और बुनियादी ढ़ांचागत क्षेत्रों को मजबूत करने के मिशन पर फोकस किया है । सरकार के अनेक ढ़ाचागत सुधारों की बदौलत भारत भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो जायेगा । विनिर्माण, सेवा और निर्यात क्षेत्रों में विकास के पटरी पर वापस आ जाने से भारत अब 8 प्रतिशत से भी अधिक की आर्थिक विकास दर हासिल करने की दिशा में मजबूती से अग्रसर हो गया है । अधिकतर रबी फसलों की ही तरह सभी अघोषित खरीफ फसलों की एम.एस.पी. उनकी उत्पाद लागत से डेढ़ गुना होगी, कृषि क्षेत्र को संस्थागत ऋण वर्ष 2014-15 के 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 11 लाख करोड़ करना किसानों की उन्नति में एक मील का पत्थर साबित होगा । 86 प्रतिशत छोटे एवं सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिये 22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों के रूप में विकसित एवं उन्नत किया जाना, किसानों को अपने उत्पाद को सरलता से बाजार में बेचना आसान करेगा । किसानों एवं उपभोक्ताओं के हित में आलू, टमाटर और प्याज जैसे महत्वपूर्ण उत्पाद की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटने के लिए "ऑपरेशन ग्रीन्स" लॉन्च किया जाना ऐसे उत्पादकों को राहत प्रदान करेगा ।
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बुनियादी ढांचागत क्षेत्र के लिए 5.97 लाख करोड़ रुपये का आबंटन ।
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10 प्रमुख स्थलों को प्रतीक पर्यटन गंतव्यों के रूप में विकसित किया जाएगा ।
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नीति आयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरु करेगा ।
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रोबोटिक्स, एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इत्यादि पर उत्कृष्ट ता केद्र स्थापित किए जाएंगे ।
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विनिवेश 72,500 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा ।
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पीली धातु को एक परिसंपत्ति श्रेणी के रूप में विकसित करने के लिए व्यापक स्वर्ण नीति बनाने की तैयारी ।
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100 करोड़ रुपये तक के वार्ऐिाक कारोबार वाली किसान उत्पादक कंपनियों के रूप में पंजीकृत कंपनियों को इस तरह की गतिविधियों पर प्राप्त लाभ पर वर्ष 2018-19 से लेकर पांच वर्षों तक 100 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव ।
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धारा 80 जेजेएए के तहत नए कर्मचारियों को अदा किए जाने वाले कुल वेतन पर 30 प्रतिशत कटौती में ढील देकर इसे फुटवियर एवं चमड़ा उद्योग के लिए 150 दिन किया जाएगा, ताकि ज्यादा रोजगार सृजित हो सके ।
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ऐसी अचल संपत्ति में लेन-देन के संबंध में कोई समायोजन नहीं होगा जिसमें सर्किल रेट मूल्य कुल राशि के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा ।
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50 करोड़ रुपये से कम के कारोबार (वित्त वर्ष 2015-16 में) वाली कंपनियों के लिए फिलहाल उपलब्ध 25 प्रतिशत की घटी हुई दर का लाभ वित्त वर्ष 2016-17 में 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार की जानकारी देने वाली कंपनियों को भी देने का प्रस्ताव रखा गया है, ताकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग लाभान्वित हो सकें ।
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परिवहन भत्ते के लिए मौजूदा छूट और विविध चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति के स्थान पर 40,000 रुपये की मान कटौती । इससे 2.5 करोड़ नौकरीपेशा कर्मचारी एवं पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे ।
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वरिष्ठ नागरिकों को प्रस्तावित राहतः
§ बैंकों और डाकघरों में जमाराशियों पर ब्याज आमदनी संबंधी छूट 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये की जाएगी ।
§ धारा 194ए के तहत टीडीएस काटने की आवश्यकता नहीं । सभी सावधि जमा योजनाओं और आवर्ती जमा योजनाओं के तहत प्राप्त ब्याज पर भी लाभ मिलेगा।
§ धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और/अथवा चिकित्सा व्यय के लिए कटौती सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये की गई ।
§ धारा 80डीडीबी के तहत कुछ विशेष गंभीर बीमारियों पर चिकित्सा व्यय के लिए कटौती सीमा 60,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के मामले में) और 80,000 रुपये (अति वरिष्ठ नागरिकों के मामले में) से बढ़ाकर सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1 लाख रुपये कर दी गई है ।
§ प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की अवधि मार्च 2020 तक बढ़ाने का प्रस्ताव । वर्तमान निवेश सीमा को प्रति वरिष्ठ नागरिक के लिए 7.5 लाख रुपये की मौजूदा सीमा से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का प्रस्ताव।
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अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केद्र (आईएफएससी) में अवस्थित स्टॉक एक्सचेंजों में कारोबार को बढ़ावा देने हेतु आईएफएससी के लिए और अधिक रियायतें ।
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कैश इकॉनोमी को नियंत्रण में रखने के लिए ट्रस्टों और संस्थानों को 10,000 रुपये से अधिक का नकद भुगतान करने की अनुमति नहीं होगी और इस पर टैक्स लगेगा ।
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1 लाख रुपये से अधिक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा जिसमें कोई भी सूचीकरण लाभ नहीं मिलेगा । हालांकि 31 जनवरी, 2018 तक हुए सभी लाभ को संरक्षित किया जाएगा ।
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इक्विटी उन्मुख म्युचुअल फंडों द्वारा वितरित आय पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाने का प्रस्ताव ।
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व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेशन टैक्स पर देय उपकर को मौजूदा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने का प्रस्ताव ।
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प्रत्यक्ष कर संग्रह में और अधिक दक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आपसी संपर्क लगभग पूरी तरह समाप्त करने के लिए देश भर में ई-निर्धारण शुरू करने का प्रस्ताव ।
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देश में और ज्यादा रोजगारों के सृजन को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहनों के कलपुर्जों, फुटवियर और फर्नीचर में "मेक इन इंडिया" तथा घरेलू मूल्य संवर्धन को भी प्रोत्साहित करने के लिए सीमा शुल्क में फेरबदल करने का प्रस्ताव ।
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