Hindi, asked by mkchaturvedi777, 8 months ago

भ्रमर गीत का आशय समझाइए​

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Answered by raginikri2007
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भ्रमर' छ: पैरवाला एक कीट है जिस का रंग काला होता है। इसे भँवरा भी कहते हैं। 'गीत' गाने का पर्याय है इसलिए 'भ्रमर गीत' का शाब्दिक अर्थ है- भँवरे का गान, भ्रमर संबंधी गान या भ्रमर को लक्ष्य करके लिखा गया गान।

Answered by raghbendrapratap
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भ्रमर' छ: पैरवाला एक कीट है जिस का रंग काला होता है। इसे भँवरा भी कहते हैं। 'गीत' गाने का पर्याय है इसलिए 'भ्रमर गीत' का शाब्दिक अर्थ है- भँवरे का गान, भ्रमर संबंधी गान या भ्रमर को लक्ष्य करके लिखा गया गान।सूरसागर सूरदासजी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग 'कृष्ण की बाल-लीला’ और 'भ्रमरगीत-प्रसंग' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। इसके विषय में आचार्य शुक्ल नै कहा है, सूरसागर का सबसे मर्मस्पर्शी और वाग्वैदग्ध्यपूर्ण अंश भ्रमरगीत है। आचार्य शुक्ल ने लगभग 400 पदों को सूरसागर के भ्रमरगीत से छांटकर उनको 'भ्रमरगीत सार' के रूप में संग्रह किया था।

भ्रमरगीत में सूरदास ने उन पदों को समाहित किया है जिनमें मथुरा से कृष्ण द्वारा उद्धव को ब्रज संदेस लेकर भेजते हैं। उद्धव योग और ब्रह्म के ज्ञाता हैं। उनका प्रेम से दूर-दूर का कोई सम्बन्ध नहीं है। जब गोपियाँ व्याकुल होकर उद्धव से कृष्ण के बारे में बात करती हैं और उनके बारे में जानने को उत्सुक होती हैं तो वे निराकार ब्रह्म और योग की बातें करने लगते हैं तो खीजी हुई गोपियाँ उन्हें 'काले भँवरे' की उपमा देती हैं। इन्हीं लगभग 100 पदों का समूह भ्रमरगीत या 'उद्धव-संदेश' कहलाता है।

भ्रमरगीत में गोपियों की वचनवक्रता अत्यंत मनोहारिणी है। ऐसा सुंदर उपालंभ काव्य और कहीं नहीं मिलता।

उधो ! तुम अपनी जतन करौ

हित की कहत कुहित की लागै,

किन बेकाज ररौ ?

जाय करौ उपचार आपनो,

हम जो कहति हैं जी की।

कछू कहत कछुवै कहि डारत,

धुन देखियत नहिं नीकी।

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