भ्रमर गीत में किस भाव का वर्णन हुआ है?
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ब्रज में उद्धव के योग संदेश और गोपिकाओं के प्रेम के बीच हुई जिरह और तर्कों को सूरदास ने भ्रमर गीत के माध्यम से लिखा है। यह रचना भक्तिकाल के काव्य में पठनीय है। इसके पद अति भावुक और अनुराग से भरे हैं। अर्थात् कि हे गोपियों हरि यानी कृष्ण का संदेश सुनो, वह कहते हैं कि तुम सगुण को छोड़ निर्गुण की उपासना करो।
DEADSOUL ✝️☠️
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ब्रज में उद्धव के योग संदेश और गोपिकाओं के प्रेम के बीच हुई जिरह और तर्कों को सूरदास ने भ्रमर गीत के माध्यम से लिखा है। यह रचना भक्तिकाल के काव्य में पठनीय है। इसके पद अति भावुक और अनुराग से भरे हैं। अर्थात् कि हे गोपियों हरि यानी कृष्ण का संदेश सुनो, वह कहते हैं कि तुम सगुण को छोड़ निर्गुण की उपासना करो।
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