Hindi, asked by adi875, 1 month ago

भ्रमरगीत के जोसदनांदन किसे कहा गया है।​

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Answered by ankitaswain537
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Answer:

भारतीय साहित्य में 'भ्रमर' (भौंरा) रसलोलुप नायक का प्रतीक माना जाता है। वह व्यभिचारी है जो किसी एक फूल का रसपान करने तक सीमित नहीं रहता अपितु, विविध पुष्पों का रसास्वादन करता है।

Answered by HrishikeshSangha
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भ्रमरगीत की रचना सूरदास, नंददास, परमानंददास, मैथिलीशरण गुप्त (द्वापर) और जगन्नाथदास रत्नाकर ने की थी।

  • भ्र्मर को भारतीय साहित्य में रसलोलुप का चिन्ह माना जाता है। महाभारत में भी भ्रमरगीत की चर्चा की गयी है।
  • कृष्णा की लीलाओं का वर्णन सूरदास से बेहतर कोई नहीं कर सकता था। भ्रमर का एक गन होता है की वो फूलों का रास पीकर चला जाता है। उस ही प्रकार गोपियों के जीवन का रास श्री कृष्णा मथुरा लेकर चले गए।
  • कृष्णा जी की ही तुलना की गयी है भ्र्मर के साथ। जिस तरह भ्र्मर एक फूल का नहीं होता उस ही तरह गोपियों को ऐसा प्रतीत होता है जैसे कृष्णा जी ने भी उनके साथ चल किआ है।

#SPJ2

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