भ्रष्टाचार एक कलंक पर निबंध
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Nibandh =अपनी भौतिक समृद्धि बढ़ाने के लिए लोगों ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना लिया है। छोटे से छोटे काम के लिए लोगों को रिश्वत का सहारा लेना पड़ता है। शिक्षा का पवित्र क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रह गया है। लोगों में देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की भावना घटती जा रही हैभ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है, भ्रष्ट+आचार = भ्रष्टाचार, अर्थात् भ्रष्ट मतलब बुरा या बिगड़ा हुआ एवं आचार का अर्थ है- आचरण। भ्रष्टाचार के अर्थ से तात्पर्य स्पष्ट है कि वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनुचित और अनैतिक हो। भ्रष्टाचार के अर्थ को सरल तरीके से परिभाषित किया जा सकता है – खराब आचरणवाला अर्थात बेईमान।
भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है। जिसका शिकार सभी कभी न कभी एक बार जरूर हुए हैं। भ्रष्टाचार आज एक प्रकार का व्यवसाय बन चुका है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी आज घूस ली जाती है।
भ्रष्टाचार एक अपराध है परन्तु हमारे ही बीच यह अपराध बार-बार किसी न किसी रूप में होता रहता है, मगर हम जाने-अनजाने में या नजर अन्दाज़ करके यह अपराध होने देते हैं। या फिर पता होते हुए भी चुप रहकर उस अपराध का हिस्सा बन जाते हैं, क्योंकि अपराध करने वाले से बड़ा अपराधी अपराध को सहने वाला होता है।
भ्रष्टाचार आज के दौर में हर एक कार्य के क्षेत्र में फैल चुका है। भ्रष्टाचार के विभिन्न क्षेत्र जैसे सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र में, राजनैतिक भ्रष्टाचार, पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार, न्यायिक भ्रष्टाचार, शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार, श्रमिक संघों का भ्रष्टाचार, धर्म में भ्रष्टाचार, दर्शन में भ्रष्टाचार, उद्योग जगत का भ्रष्टाचार।
Itna hi ata hea mujhe mark as brainlest
Answer:
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है, भ्रष्ट+आचार = भ्रष्टाचार, अर्थात् भ्रष्ट मतलब बुरा या बिगड़ा हुआ एवं आचार का अर्थ है- आचरण। भ्रष्टाचार के अर्थ से तात्पर्य स्पष्ट है कि वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनुचित और अनैतिक हो। भ्रष्टाचार के अर्थ को सरल तरीके से परिभाषित किया जा सकता है – खराब आचरणवाला अर्थात बेईमान।
भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है। जिसका शिकार सभी कभी न कभी एक बार जरूर हुए हैं। भ्रष्टाचार आज एक प्रकार का व्यवसाय बन चुका है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी आज घूस ली जाती है।
भ्रष्टाचार एक अपराध है परन्तु हमारे ही बीच यह अपराध बार-बार किसी न किसी रूप में होता रहता है, मगर हम जाने-अनजाने में या नजर अन्दाज़ करके यह अपराध होने देते हैं। या फिर पता होते हुए भी चुप रहकर उस अपराध का हिस्सा बन जाते हैं, क्योंकि अपराध करने वाले से बड़ा अपराधी अपराध को सहने वाला होता है।
भ्रष्टाचार आज के दौर में हर एक कार्य के क्षेत्र में फैल चुका है। भ्रष्टाचार के विभिन्न क्षेत्र जैसे सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र में, राजनैतिक भ्रष्टाचार, पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार, न्यायिक भ्रष्टाचार, शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार, श्रमिक संघों का भ्रष्टाचार, धर्म में भ्रष्टाचार, दर्शन में भ्रष्टाचार, उद्योग जगत का भ्रष्टाचार।