Hindi, asked by StarTbia, 1 year ago

(६)‘भ्रष्टाचार एक कलंक’ विषय पर अपने विचार लिखिए।

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Answered by moulik83
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हम सभी भ्रष्टाचार से अच्छे तरह वाकिफ है और ये अपने देश में नई बात नहीं है। इसने अपनी जड़ें गहराई से लोगों के दिमाग में बना ली है। ये एक धीमे जहर के रुप में प्राचीन काल से ही समाज में रहा है। ये मुगल साम्राज्य के समय से ही मौजूद रहा है और ये रोज अपनी नई ऊँचाई पर पहुँच रहा है साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों के दिमाग पर हावी हो रहा है। समाज में सामान्य होता भ्रष्टाचार एक ऐसा लालच है जो इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है और लोगों के दिलों से इंसानियत और स्वाभाविकता को खत्म कर रहा है।

भ्रष्टाचार कई प्रकार का होता है जिससे अब कोई भी क्षेत्र छुटा नहीं है चाहे वो शिक्षा, खेल, या राजनीति कुछ भी हो। इसकी वजह से लोग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझते। चोरी, बेईमानी, सार्वजनिक संपत्तियों की बरबादी, शोषण, घोटाला, और अनैतिक आचरण आदि सभी भ्रष्टाचार की ही ईकाई है। इसकी जड़े विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों में व्याप्त है। समाज में समानता के लिये अपने देश से भ्रष्टाचार को पूरी तरह से मिटाने की जरुरत है। हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान होना चाहिये और किसी भी प्रकार के लालच में नहीं पड़ना चाहिये।

Answered by shailajavyas
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भ्रष्टाचार एक ऐसा आचार है जो निकृष्ट हो। इसके परवश होकर मनुष्य स्वार्थपरता और धन लोलुपता के कारण ऐसा कार्य करता है जो निंदनीय हो, ऐसा आचार भ्रष्टाचार कहलाता है । हमारे देश में भ्रष्टाचार का दायरा बहुत बड़ा है निचले तबके से लेकर ऊंचे तबके के लोग या फिर गरीब वर्ग से लेकर धनिक वर्ग तक इस की पैठ जमी हुई है । राजनेता से लेकर चपरासी तक, जिसे देखिए भ्रष्टाचार में लिप्त है । राजनीतिज्ञ अधिक वोट पाने के लिए जनता को गुमराह करता है, तो चिकित्सक एक मरीज को उचित इलाज ना देकर उसे मरीज बनाए रखता है | इंजीनियर ठेकेदारों से सांठगांठ करके कमजोर पुल बनाता है तो प्रोफ़ेसर कक्षा में ठीक से ना पढ़ा कर अपने विद्यार्थियों से नकल करवाता है । विद्यार्थी नकल करके पास होता है तो उधर व्यापारी मिलावट करके अपना मालमत्ता जनता को बेचता है ताकि कम लागत में अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें । सरकारी कर्मचारी ,पुलिस विभाग, दफ्तर बाबू कोई भी इससे अछूता नहीं है। सरकारी विभागों में रिश्वतखोरी का बोलबाला है ।

जो व्यक्ति अमीर है उसके तो सारे काम बन जाते हैं किंतु जो गरीब है उसे कहीं पर आसानी से प्रवेश तक नहीं मिलता । विद्यालय में प्रवेश पाने का मामला हो या नौकरी मिलने का, सब जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है, बस हो या बिजली, सब का बुरा हाल है । वर्तमान समय में पुलिस, न्यायालय के क्षेत्र और राजनेताओं के भ्रष्टाचार को तो शब्दावली में उतारना ही मुश्किल है | जब अपराधी निकल जाता है तब पुलिस डंडे चलाती हुई आती है और बेकसूर गरीबों को पकड़ कर ले जाती है | इस देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी है राजनेता जिसने देश को वोटों की राजनीति के कारण कई प्रकार से गुमराह किया है | भ्रष्टाचार हर तरफ फैला है ,चाहे वह जांति-पाति का मामला हो, खाने-पीने का मामला हो या फिर कोई सामाजिक व्यवस्था हो | न्याय व्यवस्था भी अछूती नहीं रह पाई है | भारत की प्रेस में पूरी तरह से सशक्त एवं जागरुक नहीं है | भ्रष्टाचार का एक कलंक है | भारत देश को भ्रष्टाचार, शनै: शनै: एक कीड़ा बनकर खा रहा है | ये दूर हो सकता है लेकिन तब जबकि समाज के पास उसका पर्दाफाश करने का दृढ़ संकल्प हो । इसे दूर करने का उपाय भी हो | भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी है कि यदि देश का युवा इसे दूर करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ होगा तभी इसे जड़ मूल से उखाड़ कर फेंका जा सकता है । युवा कैसे जागेंगे ? ताकि दृढ़ संकल्प, सुनियोजित कार्यशैली के तहत दृढ़ इच्छा शक्ति के द्वारा इसे हटाया जा सके | राजनेताओं में भी इसे हटाने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए | जब नेताजी भ्रष्ट होते हैं तो प्रजा को भ्रष्ट होने में देर नहीं लगती | इसके लिए देश के युवाओं को तो आगे आना ही होगा तथा राजनेताओं को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी | इसकी जड़े इतनी गहरी है कि इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अथक परिश्रम करना होंगा | उनके भगीरथ प्रयास से ही देश में भ्रष्टाचार दूर होगा | भ्रष्टाचार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश के माथे पर लगा हुआ है कलंक है जिसे दूर करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा । वस्तुतः देश की उन्नति भ्रष्टाचार के निर्मूलन से ही संभव है |

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