भ्रष्टाचार में लिप्त!
आत्मा की आवाजों को सुनना, एक पागलपन है।
सत्य, अहिंसा, प्रेम नहीं आज के आदर्श,
बल्कि लोभ, लालच और कमाना है।
मन में विदेश सुख की आस है,
और पराया देश ही अपना है।
ओ!धनवृति को आतुर नयन,
देशप्रेम केवल एक विडंबना है।
(क) कवि ने वर्तमान मनुष्य के बारे में क्या विचार प्रकट
किए हैं?1
(ख) कवि ने पागलपन किसे कहा है? मनुष्य के आदर्शों में
क्या परिवर्तन आए हैं?2
(ग) कवि ने देश प्रेम को विडंबना किसके लिए कहा है?1
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