भ्रष्टाचार पर एक अनुच्छेद लेखन
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भ्रष्टाचार एक जहर की तरह है जो देश, संप्रदाय, और समाज के गलत लोगों के दिमाग में फैला हुआ है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिये सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी और दुरुपयोग किया जाता है। इसका संबंध किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गैरजरुरी और गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था ही क्यों ना हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ता है। यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का एक बड़ा कारण बन गया है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में भी बाधा उत्पन्न करता है।
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भ्रष्टाचार एक भस्मासुर
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संप्रग सरकार को आड़े हाथ लेते हुए विपक्षी दलों ने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार भस्मासुर हो गया है, जिसका इलाज करना जरूरी है, वरना यह व्यवस्था को ही लील जाएगा।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर मंगलवार की अधूरी चर्चा का आगे बढ़ाते हुए जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि राष्ट्रपति के संस्थान की गरिमा का सम्मान करते हुए मैं भारी दिल से प्रस्ताव का समर्थन कर रहा हूँ, लेकिन यह अभिभाषण केवल समितियों का कीर्तन भर है।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और गरीब वंचित का आर्थिक विकास के मुद्दे पर अभिभाषण में एक शब्द नहीं कहा गया है। इसमें केवल समितियों की बात कही गई है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि पिछले 62 साल में केवल समितियों का कीर्तन किया गया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के चारों ओर घोर उपजाऊ जमीन की लूट मची है, लेकिन इसे रोकने की दिशा में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
किसानों की आत्महत्याओं का जिक्र करते हुए वरिष्ठ जदयू नेता ने सवाल किया कि सांसदों और सरकारी कर्मचारियों का वेतन जिस अनुपात में बढ़ा है क्या उसी अनुपात में किसान की आय बढ़ी है। यह चिंता का विषय है। उन्होंने साथ ही कहा कि अभिभाषण में बेरोजगारी के समाधान का कोई जिक्र नहीं है। बेकारी की हालत यह है कि बरेली में निकली छोटी मोटी 72 नौकरियों के लिए पाँच लाख युवा आ जुटते हैं।