भ्रष्टाचार पर paragraph
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प्रस्तावना: भ्रष्टाचार का मतलब इसके नाम में ही छुपा है भ्रष्टाचार यानी भ्रष्ट +आचरण। मतलब गलत काम करना भ्रष्टाचार पूरे भारत में महामारी की तरह फैल रहा है यह दीमक की तरह पूरे देश में धीरे-धीरे कम होने की वजह बढ़ता ही जा रहा है आजकल लाखों करोड़ों का घोटाला होना तो जैसे एक आम बात हो गई है। जिस घोटालों से हम बचने के लिए न्याय की उम्मीद करते हैं वही न्याय व्यवस्था भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है आज पूरे देश में भ्रष्टाचार का भारत में 94 वें स्थान पर है।
भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार: आज भारत में भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, कालाबाजारी जानबूझकर चीजों के दाम बढ़ना,
अपने स्वार्थ के लिए चिकित्सा जैसे-क्षेत्र में भी जानबूझकर गलत ऑपरेशन करके पैसे ऐठना ,हर काम पैसे लेकर करना, किसी भी समान को सस्ता में लाकर महंगे में बेचना, चुनाव धांधली,घुस लेना, टैक्स चोरी करना, ब्लैकमेल करना, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन करना, हफ्ता वसूली, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपात पूर्ण निर्णय, वोट के लिए पैसे और शराब बांटना, उच्च पद के लिए भाई-भतीजावाद, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, यह सब भ्रष्टाचार है और यह दिन-ब-दिन भारत के अलावा अन्य देशों में भी बढ़ रहा है और कोई क्षेत्र भ्र्ष्टाचार से नहीं बचा।
भारत ! भ्रष्टाचार मूर्त और अमूर्त दोनों ही रूपों में नजर आता है । यहां भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे अछूता रहा है । राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है। घोटालों पर घोटाले, दलबदल, सांसदों की खरीद-फरोख्त, विदेशों में नेताओं के खाते, अपराधीकरण-ये सभी भ्रष्ट राजनीति के सशक्त उदाहरण हैं । चुनाव जीतने से लेकर मन्त्री पद हथियाने तक घोर राजनीतिक भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है । ठेकेदार, इंजीनियर निर्माण कार्यो में लाखों-करोड़ों का हेरफेर कर रकम डकार जाते हैं ।
शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है । एडमिशन से लेकर समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक परले दरजे का भ्रष्टाचार मिलता है । चिकित्सा विभाग भी भ्रष्टाचार में कुछ कम नहीं है । बैंकों से लोन लेना हो, पटवारी से जमीन की नाप-जोख करवानी हो, किसी भी प्रकार का प्रमाण-पत्र इत्यादि बनवाना हो, तो रिश्वत दिये बिना तो काम नहीं। हम कही भी जाये हमें भ्रष्टाचार हर कोने पर मिलेगी। जैसे जैसे हम बड़े होंगे वैसे वैसे हमें भ्रष्टाचार के बहुत से प्रकार देखने को मिलेंगे
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