भ्रष्टाचार विषय पर 2 मित्रो को संवाद लिखिए
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सुनील: "नमस्ते मित्र, कैसे हो?"
सुशील: "अरे क्या बतायें मित्र, आजकल ईमानदारी का जमाना नहीं है।"
सुनील: "क्यों, क्या हुआ?"
सुशील: "तुम तो जानते हो कि मेरा बेटा पढ़ने में कितना होशियार है।"
सुनील: "हाँ, ये तो सच है।"
सुशील: "उसने इतनी मेहनत करके डिग्री प्राप्त करी है, पर कोई उसे नौकरी देने को तैयार नहीं है।"
सुनील: "क्यों?"
सुशील: "सब जगह सिफारिश की आवश्यकता है, यदि कोई बड़ा वी.आई.पी उसकी सिफारिश करेगा तभी उसे नौकरी मिल सकती हैं।"
सुनील: "ये तो भ्रष्टाचार है।"
सुशील: "इसीलिए तो कह रहा हूँ कि आजकल ईमानदारी से काम नहीं चलता है।"
सुशील: "अरे क्या बतायें मित्र, आजकल ईमानदारी का जमाना नहीं है।"
सुनील: "क्यों, क्या हुआ?"
सुशील: "तुम तो जानते हो कि मेरा बेटा पढ़ने में कितना होशियार है।"
सुनील: "हाँ, ये तो सच है।"
सुशील: "उसने इतनी मेहनत करके डिग्री प्राप्त करी है, पर कोई उसे नौकरी देने को तैयार नहीं है।"
सुनील: "क्यों?"
सुशील: "सब जगह सिफारिश की आवश्यकता है, यदि कोई बड़ा वी.आई.पी उसकी सिफारिश करेगा तभी उसे नौकरी मिल सकती हैं।"
सुनील: "ये तो भ्रष्टाचार है।"
सुशील: "इसीलिए तो कह रहा हूँ कि आजकल ईमानदारी से काम नहीं चलता है।"
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अमित- पप्पू! उदास क्यों हो?
पप्पू- दादाजी की पेंशन चालू करवानी है। बैंकवालों ने परेशान करके रखा हुआ है।
अमित- क्यों?
पप्पू- दादाजी रिश्वत देना नहीं चाहते हैं। बस उनकी फाइल पास ही नहीं हो रही है। एक टेबल से दूसरी टेबल घूम रही है।
अमित- तुम दादाजी को समझाओ।
पप्पू- क्या समझाऊँ कि आप रिश्वत दे दो। मुझसे बात करना बंद कर देगें। सलाह तो सही दिया करो।
अमित- नहीं! यह समझाओ कि इसकी शिकायत करें। फिर देखना कि कैसे काम करते हैं। दादाजी का नाम भी नहीं आएगा और उन कर्मचारियों को सबक भी मिल जाएगा। चुपचाप यह सब सहते रहोगे, तो कुछ नहीं होने वाला। इनको तो ऐसे ही सबक सिखाया जा सकता है।
पप्पू- अभी जाकर बोलता हूँ।
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