भारत
भारत का स्वर्णिम गौरव केन्द्रीय विद्यालय लाएगा ।
तक्षशिला, नालन्दा का इतिहास लौटकर आएगा ।
शिक्षा-उपवन के हम नये फूल, संस्कृत सरिता के नये कूल ।
हम ज्योति दीप जागृत प्रबुद्ध, हट जाओ तम के धूल-शूल ।।
तमसो मा ज्योतिर्गमय यह मंत्र विश्व में छाएगा ।
तन अनेक पर एक प्राण, स्वर अनेक पर एक गान ।
हम कण कण पर छा जाएंगे, बनकर भारत का स्वाभिमान ।
तत् त्वं पूषन् अपावृणु यह छंद ज्योति बरसाएगा ।
हम भविष्य, हम नये चरण, हम आशा की नई किरण ।
हम नूतन निर्माण सखरे, हम नया जोश, हम नई लगन ।
मिलकर अपना कदम उठेगा, पथ मंजिल बन जायेगा ।
हिमगिरि के सागर तट तक, हम एक प्राण हो जाएँगे ।
समता के गति गुंजाएँगे, ममता की लोरी गाएँगे ।
हिमगिरि से सागर तट तक, हम एक प्राण हो जाएँगे ।
प्रांत-प्रांत का हर बच्चा भारतवासी कहलाएगा ।
भारत
भारत
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भारत
at what we play and sleep
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