भारत चीन तथा पाकिस्तान की विकास रणनीति का प्रारंभिक
आधार क्या है.
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साल 1958 की बात है. पाकिस्तान में तख़्तापलट के बाद पहले सैन्य शासक बने फ़ील्ड मार्शल अय्यूब ख़ान. वो चीन की विस्तारवादी नीति से काफ़ी चिंतित रहते थे. अपनी चिंता को दूर करने के लिए साल 1959 में वो भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास एक प्रस्ताव लेकर पहुँचे.
मनमोहन सिंह की पहली सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जेएन दीक्षित ने अपनी किताब इंडिया-पाकिस्तान इन वॉर एंड पीस में अय्यूब ख़ान के इस प्रस्ताव का विस्तार से ज़िक्र किया है.
वो लिखते हैं, "अय्यूब ख़ान ने 24 अप्रैल 1959 को 'ज़्वाइंट डिफ़ेंस पैक्ट' यानी 'संयुक्त रक्षा समझौता' का प्रस्ताव भारत के सामने रखा था".
टोक्यो में तैनात पाकिस्तानी राजदूत मोहम्मद अली के हवाले से उन्होंने लिखा है कि उसी साल मार्च में दलाई लामा तिब्बत से भारत में शरण लेने आए थे.
अय्यूब ख़ान ने भारत को भी चीन की विस्तारवादी नीति से आगाह करते हुए प्रस्ताव रखा कि भारत और पाकिस्तान को मिलकर संयुक्त रक्षा समझौते के तहत चीन की इस नीति का मुक़ाबला करना चाहिए. पाकिस्तान ने कहा कि वो उनके क्षेत्र में चीनी घुसपैठ का बलपूर्वक मुक़ाबला करेंगे और उसे विफल किया जाएगा. उसी तरह से भारत भी अपने क्षेत्र में घुसपैठ पर कार्रवाई करे.
आगे चल कर अय्यूब ख़ान ने सिंतबर 1959 में इस बात को स्वीकार भी किया कि जम्मू-कश्मीर जैसे बड़े मसले को सुलझाने के लिए उन्होंने ये प्रस्ताव रखा था.
दोनों देशों के रिश्तों पर गहरी पकड़ रखने वाले कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री और उस वक़्त के आर्मी चीफ़ के बीच इस प्रस्ताव को लेकर मतभेद की वजह से नेहरू ने पाकिस्तान का ये प्रस्ताव ठुकरा दिया था.
आज सात दशक बाद चीन और पाकिस्तान अपनी दोस्ती की 70वीं सालगिरह मना रहे हैं. पाकिस्तान चीन के साथ खड़ा है और दोनों का दुश्मन नंबर एक भारत बन गया है. आज इन दोनों देशों के लिए 'ऑल वेदर फ्रेंड्स' और 'आयरन ब्रदर्स' जैसी मिसालें दी जाती हैं.
दोनों देशों की दोस्ती का पहला क़दम
यूं तो पाकिस्तान मुस्लिम मुल्कों में पहला और दुनिया का ऐसा केवल तीसरा देश था, जिसने सोशलिस्ट क्रांति के बाद चीनी गणतंत्र को मान्यता दी थी.
पाकिस्तान ने इस मान्यता की घोषणा 4 जनवरी 1950 को कर दी थी.
अगले ही साल 21 मई 1951 को पाकिस्तान के चीन के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए और मेजर जनरल आग़ा मोहम्मद रज़ा को पाकिस्तान ने बीजिंग में अपना राजदूत तैनात कर दिया.
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