Social Sciences, asked by gangarana5345745, 7 months ago

भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म।[1] भारतीयों का एक विशाल बहुमत स्वयं को किसी न किसी धर्म से संबंधित अवश्य बताता है।

भारत की जनसंख्या के 79.8% लोग हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं।[2] इस्लाम (14.23%)[2], बौद्ध धर्म (0.70%), ईसाई धर्म (2.3%) और सिक्ख धर्म (1.72%), भारतीयों द्वारा अनुसरण किये जाने वाले अन्य प्रमुख धर्म हैं। आज भारत में मौजूद धार्मिक आस्थाओं की विविधता, यहां के स्थानीय धर्मों की मौजूदगी तथा उनकी उत्पत्ति के अतिरिक्त, व्यापारियों, यात्रियों, आप्रवासियों, यहां तक कि आक्रमणकारियों तथा विजेताओं द्वारा भी यहां लाए गए धर्मों को आत्मसात करने एवं उनके सामाजिक एकीकरण का परिणाम है। सभी धर्मों के प्रति हिंदू धर्म के आतिथ्य भाव के विषय में जॉन हार्डन लिखते हैं, "हालांकि, वर्तमान हिंदू धर्म की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता उसके द्वारा एक ऐसे गैर-हिंदू राज्य की स्थापना करना है जहां सभी धर्म समान हैं; ..."[3]

मौर्य साम्राज्य के समय तक भारत में दो प्रकार के दार्शनिक विचार प्रचलित थे, श्रमण धर्म तथा वैदिक धर्म. इन दोनों परम्पराओं का अस्तित्व हजारों वर्षों से साथ-साथ बना रहा है।[4] बौद्ध धर्म और जैन धर्म श्रमण परंपराओं से निकल कर आये हैं, जबकि आधुनिक हिंदू धर्म वैदिक परंपरा का ही विस्तार है। साथ-साथ मौजूद रहने वाली ये परम्पराएं परस्पर प्रभावशाली रही हैं।

पारसी धर्म और यहूदी धर्म का भी भारत में काफी प्राचीन इतिहास रहा है और हजारों भारतीय इनका अनुसरण करते हैं। पारसी तथा बहाई धर्मों का पालन करने वाले विश्व के सर्वाधिक लोग भारत में ही रहते हैं। [5][6] भारत की जनसंख्या के 0.2% लोग बहाई धर्म का पालन करते हैं।

भारत के संविधान में राष्ट्र को एक धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र घोषित किया गया है जिसमें प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म या आस्था का स्वतंत्र रूप से पालन तथा प्रचार करने का अधिकार है (इन गतिविधियों पर नैतिकता, कानून व्यवस्था, आदि के अंतर्गत उचित प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं).[7][8]. भारत के संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को एक मौलिक अधिकार की संज्ञा दी गयी है।

भारत के नागरिक आम तौर पर एक दूसरे के धर्म के प्रति काफी सहिष्णुता दर्शाते हैं और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण बनाए रखते हैं, हालांकि अंतर-धार्मिक विवाह व्यापक रूप से प्रचलित नहीं है। भारत के सर्वोच्च न्यायलय के फैसले के अनुसार मुसलमानों के लिए शरियत या मुस्लिम कानून को भारतीय नागरिक कानून के ऊपर वरीयता दी जायेगी.[9] विभिन्न समुदायों के बीच दंगों को सामाजिक मुख्यधारा में अधिक समर्थन प्राप्त नहीं होता है और आमतौर पर यह माना जाता है wikt: इन धार्मिक संघर्षों का कारण विचारों में मतभेद की बजाय राजनैतिक​

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Answered by karansingh44
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bht aacha nhi hai thank you aosme

tregj NIC di ko bol rhi ho gya tha

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