Hindi, asked by arunarunlodhi838, 29 days ago

भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था: भारत भी एक मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला देश है। भारत ने अर्थव्यवस्था की इस प्रणाली और दृष्टिकोण को स्वतंत्रता के बाद अपनाया है। देश में वर्ष 1948 और 1956 में लागू औद्योगिक नीतियों ने निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को सह-अस्तित्व में लाने में मदद की है। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए उदारीकरण के साथ निजी क्षेत्र के विस्तार और विकास के अवसर बढ़े हैं। अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक ठहराव सा आ गया था। लेकिन समय के साथ भारत ने आर्थिक विकास के लिए कई नीतियों को अपनाया और तकनीकी, वैज्ञानिक और औद्योगिक विकास की नींव रखी।

Explanation:

मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं : मिश्रित अर्थव्यवस्था ऐसी नीतियां और स्थितियां प्रदान करती है, जिससे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र एक ही समय में सह-अस्तित्व में हो सकते हैं और अपना विकास एवं विस्तार कर सकते हैं।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में नागरिकों को अपना व्यवसाय चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है। नागरिक उद्योग और व्यक्तिगत व्यवसाय स्थापित कर सकते हैं। हालांकि रक्षा, बिजली, बैंकिंग और कुछ बुनियादी उद्योगों जैसे क्षेत्रों में एकाधिकार रहता है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार मूल्य वितरण प्रणाली के माध्यम से सार्वजनिक हित में कीमतों को विनियमित कर सकती है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी संपत्ति बनाने और रखने की अनुमति होती है, लेकिन संपत्ति और आय के समान वितरण पर जोर दिया जाता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में किसी एक या कुछ विशेष लोगों का एकाधिकार नहीं रहता है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार हमेशा आर्थिक योजनाओं और नियमों के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है। इस तरह आर्थिक योजनाएं मिश्रित अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।

सरकार मूल्य पर नियंत्रण रखती है और विनियमित करती है। आम तौर पर सरकार मूल्य प्रणाली में हस्तक्षेप नहीं करती है और उद्योग अपने माल की कीमतें निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। हालांकि राष्ट्रीय संकट या आपात स्थिति के समय सरकार मूल्य नियंत्रण अपने हाथों में ले लेती है और पीडीएस के माध्यम से माल वितरित करती है।

इस प्रणाली में लाभ कमाने और सामाजिक कल्याण दोनों को प्राथमिकता दी जाती है। मिश्रित अर्थव्यवस्था पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ समाजवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताओं को प्रदर्शित करती है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार प्रभावी विधायी उपायों को लागू करके निजी एकाधिकार को नियंत्रित करती रहती है और लोगों के हित के लिए काम करती है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था के लाभ :

मिश्रित अर्थव्यवस्था के मुख्य लाभ निम्न हैं –

निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करना – मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसा वातावरण प्रदान करती है, जिससे निजी क्षेत्र लाभ प्राप्त कर सकते हैं और विकसित हो सकते हैं। इससे देश में अवसरों का सृजन होता है और देश आर्थिक रूप से मजबूत होता है।

आजादी – मिश्रित अर्थव्यवस्था में नागरिकों को आर्थिक और पेशेवर स्वतंत्रता होती है। व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में व्यवसाय स्थापित कर सकता है एवं अपने व्यवसाय के उत्पादन और उपभोग से संबंधित निर्णय ले सकता है।

संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग – मिश्रित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र नागरिकों के हित और लाभ के लिए काम करता है, जबकि निजी क्षेत्र अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए संसाधनों का अधिकतम उपयोग करता है।

आर्थिक नियोजन – सरकार महंगाई कम करने एवं आर्थिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न नीतियां बनाती है और इससे संबंधित उपाय करती है।

आर्थिक असमानता में कमी – मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार आय और संपत्ति पर टैक्स लगाकर आर्थिक विषमता को कम करने का प्रयास करती है। सरकार कम आय वाले लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए मुफ्त शिक्षा और मुफ्त चिकित्सा सुविधा जैसी सुविधाएं प्रदान करती है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था के नुकसान :

मिश्रित अर्थव्यवस्था के कई नुकसान भी होते हैं, जो इस प्रकार हैं –

स्थिरता का अभाव – कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था में स्थिरता का अभाव होता है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्रों को अधिकतम लाभ मिलता है, जबकि निजी क्षेत्र को नियमों के माध्यम से नियंत्रण किया जाता है।

प्रभाव शून्यता – इस प्रणाली के तहत निजी क्षेत्र को अति विनियमित माना जाता है। इसलिए मिश्रित अर्थव्यवस्था में दोनों क्षेत्र अप्रभावी रहते हैं अर्थात प्रभाव शून्यता की स्थिति बनी रहती है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र को स्वतंत्रता प्राप्त होती है और निजी क्षेत्र को सख्ती से विनियमित किया जाता है।

व्यापक नियोजन का अभाव – मिश्रित अर्थव्यवस्थाओं में व्यापक नियोजन का अभाव होता है, इसलिए अर्थव्यवस्था के बड़े क्षेत्र सरकारी नियंत्रण से बाहर रहते हैं।

दक्षता में कमी – मिश्रित अर्थव्यवस्था के तहत सरकारी क्षेत्र में प्रतिबंधों की कमी के कारण दक्षता का अभाव होता है, जबकि निजी क्षेत्र नियंत्रण, लाइसेंस और परमिट के रूप में लगाए गए अत्यधिक प्रतिबंधों के कारण कमजोर होते चले जाते हैं।

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