भारत है संज्ञा.विराग की, उज्ज्वल आत्म-उदय की,
भारत हे आभा मनुष्य की सबसे बड़ी विजय की।
भारत है भावना दाह जग-जीवन को हरने की,
भारत है कल्पना, मनुज को राग-मुक्त करने की।
1. भारत एक स्वप्न, भूका ऊपर ले जाने वाला)
सप्रसंग व्याख्या
भाव स्पष्टीकरण
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- भारत एक भाव, जिसको पाकर मनुष्य जगता है, भारत एक जलज, जिस पर जल का न दाग लगता है। भारत है संज्ञा विराग की, उज्जवल आत्म उदय की, भारत है आभा मनुष्य की सबसे बड़ी विजय की।
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2. निम्नलिखित में से एक का प्रसंग सरलार्थ कीजिए:
यत्, पाण्डवा द्रुपदराजसुता सहाया:
कान्ताररेणु परुषाः पृथिवीं भ्रमन्ति।
यत् त्वं च तेषु विभुखः त्वयि ते च वामा:
तत् सर्वमेव शकुनेः परुषावलेपः ।।
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