भारत के 19वीं शताब्दी में प्रिंट संस्कृति का गरीब जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
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[3/9, 9:53 AM] Ayushi: ईश्वर की कृपा से आज आपके मन और स्वास्थ्य के सारे दुख होलिका दहन के साथ नष्ट हो जावे
[3/9, 9:53 AM] Ayushi: आपको और आपके परिवार को होलिका दहन की बहुत शुभकामनाएं
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Answer: उन्नीसवीं सदी में किताबें सस्ती हो चुकी थीं और छोटी किताबें भी छपने लगीं थीं। इन किताबों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के उद्देश्य से चौराहों पर बेचा जाता था। कई स्थानों पर पुस्तकालय भी खुले ताकि लोग आसानी से किताब पढ़ सकें। इससे गरीब वर्ग के लोगों को भी किताबें पढ़ने का मौका मिला और अपना ज्ञान बढ़ाने का मौका मिला। इसका असर यह हुआ कि गरीब तबके से भी कई लोग लेखक बन गये।
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