भारत के अंतरिक्ष की ओर बढ़ते कदम पर निबंध
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भारत का पौराणिक इतिहास अंतरिक्षीय प्रसंगों से भरा पड़ा है। इंद्र से लेकर रावण तक अनेक विमान-सवारों के कथा प्रसंग पुऱाणों में उल्लिखित हैं। किंतु विधि की विडंबना कि आधुनिक कालम जब भारत सदियों की गुलामी के बाद टूट-फूट और बिखरकर आजाद हुआ तब संसार में भारत की हैसियत एक बैलगाड़ी आधारित अर्थ-व्यवस्था वाले कृषि-प्रधान देश की थी। भला हम अंतरिक्ष-यानिकी के सपने क्या देखते। हम टूट-बिखरकर और पीड़ित होकर आजाद हुए थे इसलिए हमें सँभलने में कुछ वक्त लगा और अमेरिका तथा रूस सन् 1969 में चांद पर अभियान कर आए। विडंबना यह भी थी कि विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों में कई भारतीय भी थे किंतु हमारे यहाँ इसके लिए जरूरी विज्ञान का ढाँचा ही तब उपलब्ध नहीं था।
भाभा साराभाई प्रभृति अनेक वैज्ञानिकों को भारत सरकार ने इस दिशा में प्रयत्नशील किया। कई संस्थाओं का आरंभ हुआ। इसरो की स्थापना की। हमने अपने अंतरिक्ष विज्ञान में आशातीत सफलताएँ त्वरित गति से अर्जित करनी शरू की। विश्व के देश हमारी सफल अंतरिक्ष-यानिकी और अभियानों की सफलताएँ देखकर जल मरे। रूस से हमे इंजन की सप्लाई मिलनी थी किंतु अमेरिका और मित्र-राष्ट्रों ने हल्ला-गुल्ला मचा दिया और हमें रूस से उक्त इंजन नहीं लेने दिया। अभी अमेरिकी गुट के देश अपनी सफलता पर एक-दूसरे की पीठ थपथपाकर हटे ही थे कि हमारे वैज्ञानिकों ने स्वयं पूर्णतः स्वदेशी और उत्तम श्रेणी का वांछित इंजन आनन-फानन में तैयार कर के दिखला दिया। आज हम न सिर्फ अपना उपग्रह अंतरिक्ष की वांछित कक्षा में सफलता-पू4वक स्थापित करते हैं अपितु अन्य सहयोगी राष्ट्रों के उपग्रहों का प्रक्षेपण भी हमारे थुंबा अंतरिक्ष केंद्र से होताहै। अब चंद्र-अभियान की बारी है।
भारत के तेजी से बढ़ते कदम अब अंतरिक्ष भी नापने लगे हैं। भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कीर्तिमान बनाते हुए अपने मंगल अभियान को पहली ही बार में सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा मंगल ग्रह पर भेजा गया मार्स आर्बिटर यानी मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है जो भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास की सबसे बड़ी कामयाबी है। भारत के इस मंगल अभियान पर भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के देशों की नजर थी। मंगलयान की सफलता के बाद भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया है। इसके साथ ही भारत विश्व के उन चार चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने मंगल पर सफलतापूर्वक अपने यान भेजे हैं। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी अमेरिका, रूस और यूरोपियन संघ की एजेंसी के बाद चौथी एजेंसी बनी है जिसने इतनी बड़ी सफलता हासिल की है।