Hindi, asked by 1ayushpatel, 4 months ago

भारत की आरती
देश-देश की स्वतंत्रता देवी
आज अमित प्रेम से उतारती​

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Answered by Braɪnlyємρєяσя
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Explanation:

अमरपुरी से भी बढ़कर के जिसका गौरव-गान है-

तीन लोक से न्यारा अपना प्यारा हिंदुस्तान है।

गंगा, यमुना सरस्वती से सिंचित जो गत-क्लेश है।

सजला, सफला, शस्य-श्यामला जिसकी धरा विशेष है।

ज्ञान-रश्मि जिसने बिखेर कर किया विश्व-कल्याण है-

सतत-सत्य-रत, धर्म-प्राण वह अपना भारत देश है।

यहीं मिला आकार ‘ज्ञेय’ को मिली नई सौग़ात है-

इसके ‘दर्शन’ का प्रकाश ही युग के लिए विहान है।

वेदों के मंत्रों से गुंजित स्वर जिसका निर्भ्रांत है।

प्रज्ञा की गरिमा से दीपित जग-जीवन अक्लांत है।

अंधकार में डूबी संसृति को दी जिसने दृष्टि है-

तपोभूमि वह जहाँ कर्म की सरिता बहती शांत है।

इसकी संस्कृति शुभ्र, न आक्षेपों से धूमिल कभी हुई-

अति उदात्त आदर्शों की निधियों से यह धनवान है।।

Answered by Anonymous
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Answer:

भारत की आरती

देश-देश की स्वतंत्रता देवी

आज अमित प्रेम से उतारती ।

निकटपूर्व, पूर्व, पूर्व-दक्षिण में

जन-गण-मन इस अपूर्व शुभ क्षण में

गाते हों घर में हों या रण में

भारत की लोकतंत्र भारती।

गर्व आज करता है एशिया

अरब, चीन, मिस्र, हिंद-एशिया

उत्तर की लोक संघ शक्तियां

युग-युग की आशाएं वारतीं।

साम्राज्य पूंजी का क्षत होवे

ऊंच-नीच का विधान नत होवे

साधिकार जनता उन्नत होवे

जो समाजवाद जय पुकारती।

जन का विश्वास ही हिमालय है

भारत का जन-मन ही गंगा है

हिन्द महासागर लोकाशय है

यही शक्ति सत्य को उभारती।

यह किसान कमकर की भूमि है

पावन बलिदानों की भूमि है

भव के अरमानों की भूमि है

मानव इतिहास को संवारती।

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