भारत के अनेक पौराणिक और आयुर्वेदिक ग्रंथों में मोती की चर्चा की गई है । रामायण काल में मोती का उपयोग काफ़ी प्रचलित था। मोती की चर्चा बाइबल में भी की गई है | भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में मोती-भस्म का उपयोग कई प्रकार की औषधियों के निर्माण में किए जाने का उल्लेख मिलता है- कब्ज़नाशक के रूप में तथा वमन कराने हेतु । इससे स्वास्थ्यवर्धक और उद्दीपक दवाओं का निर्माण किया जाता है । जापान में मोतियों के चूर्ण से कैल्शियम कार्बोनेट की गोलियाँ बनाई जाती हैं जिनके सेवन से दाँतों में छेद होने का डर नहीं रहता। साथ ही इससे पेट में गैस नहीं बनती और एलर्जी की शिकायत भी नहीं होती। वराहमिहिर की 'बृहत्संहिता' में लिखा है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, हाथी और बाँस से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से ही बताई है। प्राचीन भारतीय विद्वानों का मत था कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूँदें सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है। यह कथन आधुनिक वैज्ञानिकों को भी मान्य है कि मोती-निर्माण हेतु शरद ऋतु सर्वाधिक अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है ।
1))मोती का प्रयोग कब सबसे ज्यादा प्रचलित था? (ख) कुछ वर्षों पहले (क) रामायण काल में(ख) कुछ वर्षों पहले(ग) वैदिक काल में(घ) इनमें से कोई नहीं
2))मोतियों का विस्तृत विवरण किसने अपने ग्रंथ में किया है?(क) पतंजलि ने (ख) आर्यभट ने(ग) कालिदास ने(घ) बराहमिहिर ने
3))मोती भस्म से किस प्रकार की औषधियाँ बनाई जाती है?(क) ठंडक से राहत देनेवाली(ख) दाँत का दर्द मिटाने की(ग) स्वास्थ्यवर्धक(घ) पेट खराब होने की
4))मोती-निर्माण में शरद ऋतु क्यों अनुकूल समझी जाती है?(क) सरदी पड़ने के कारण(ख) जल-स्थिर होने के कारण(ग) वर्षा की बूँदों के कारण(घ) स्वाति नक्षत्र के आगमन के कारण
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१)क। २)घ। ३)घ ४)ग all question for answer
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