भारत की अर्थव्यवस्था पर एक निबंध लिखें
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बाद भारत ने 1950-51 में अपनी पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की; तब से हर 5 साल पर पंचवर्षीय योजना चलाई जा रहीं है। जिसमें प्रत्येक बार उन मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है, जो देश की अर्थव्यवस्था और विकास के लिए जरुरी होता है।
भारत - एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
हालांकि भारत एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है, लेकिन उद्योगों (उपभोक्ता वस्तुओं और पूंजीगत सामान दोनों), सेवा क्षेत्र (निर्माण, व्यापार, वाणिज्य, बैंकिंग प्रणाली आदि) और सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे के विकास पर बहुत जोर दिया गया है। जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास शक्ति, ऊर्जा, परिवहन, संचार आदि।
भारत में केंद्र और राज्य दोनों सरकारें आर्थिक विकास के लिए अग्रणी सभी क्षेत्रों में अपना हाथ मिलाती हैं।
उत्पादन के आधार पर:
भारतीय अर्थव्यवस्था को मोटे तौर पर तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है:
(i) प्राथमिक या कृषि क्षेत्र
इस क्षेत्र में कृषि और इसकी सहयोगी गतिविधियाँ शामिल हैं जिनमें डेयरी, पोल्ट्री, मछली पकड़ने, वानिकी, पशुपालन आदि शामिल हैं। प्राथमिक क्षेत्र में, अधिकांश सामान्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके उत्पादित किए जाते हैं, क्योंकि भारत एक अति-कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। इसलिए, यह क्षेत्र आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(ii) द्वितीयक या विनिर्माण क्षेत्र
इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। इस श्रेणी में सभी प्रकार के विनिर्माण क्षेत्र जैसे बड़े पैमाने और छोटे पैमाने शामिल हैं। लघु और कुटीर उद्योगों में कपड़े, मोमबत्ती, मुर्गी पालन, माचिस की डिब्बी, हैंडलूम, खिलौने आदि शामिल हैं। ये इकाइयाँ बहुत बड़ा रोजगार प्रदान करती हैं। दूसरी ओर, बड़े पैमाने पर उद्योग जैसे लोहा और इस्पात, भारी इंजीनियरिंग, रसायन, उर्वरक, जहाज निर्माण आदि हमारे घरेलू उत्पादन में एक बड़ी राशि का योगदान करते हैं।
(iii) तृतीयक या सेवा क्षेत्र
यह क्षेत्र परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा, व्यापार और वाणिज्य जैसी विभिन्न सेवाओं का उत्पादन करता है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के व्यापार शामिल हैं। इसके अलावा, सभी पेशेवर सेवाएं जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, वकील आदि सेवा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। सरकार द्वारा नागरिकों के कल्याण के लिए प्रदान की जाने वाली सेवाएं भी तृतीयक क्षेत्र में शामिल होती हैं।
निष्कर्ष
आउटसोर्सिंग (बाहरी स्रोतों से सेवाएं प्राप्त करने वाली कंपनी) हमारी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा वरदान रहा है। हमारे पास अंग्रेजी बोलने वाली आबादी है, जो भारत को सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों के साथ-साथ व्यवसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनाने में सहायक रहती है।
निबंध – 3 (500 शब्द)
परिचय
भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ दशकों में बड़ी वृद्धि देखी है। इस उछाल का श्रेय काफी हद तक सेवा क्षेत्र को जाता है। कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों को भी वैश्विक मानकों से मेल खाने के लिए सुधारा गया है और विभिन्न खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि देखी गई है जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है। कई नए बड़े पैमाने के साथ-साथ लघु उद्योग भी हाल के दिनों में स्थापित किए गए हैं और इनका भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव भी साबित हुआ है।
औद्योगिक क्षेत्र का उदय
भारत सरकार ने लघु और बड़े पैमाने पर उद्योग के विकास को भी बढ़ावा दिया क्योंकि यह समझ में आ गया था कि, अकेले कृषि, देश के आर्थिक विकास में मदद नहीं कर पाएगी। स्वतंत्रता के बाद से कई उद्योग स्थापित किए गए हैं। बेहतर कमाई की कोशिश में बड़ी संख्या में लोग कृषि क्षेत्र से औद्योगिक क्षेत्र में स्थानांतरित हो गए।
आज, हमारे पास कई उद्योग हैं जो बड़ी मात्रा में कच्चे माल के साथ-साथ तैयार माल का निर्माण करते हैं। फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, आयरन एंड स्टील इंडस्ट्री, केमिकल इंडस्ट्री, टेक्सटाइल इंडस्ट्री, ऑटोमोटिव इंडस्ट्री, इंडस्ट्री, जूट और पेपर इंडस्ट्री कुछ ऐसे इंडस्ट्री में से हैं, जिन्होंने हमारी आर्थिक वृध्दि में बहुत बड़ा योगदान दिया है।