भारत के बारे में बात करते हुए, जवाहरलाल नेहरू ने एक बार टिप्पणी दी :-
"यह (भारत) कुछ प्राचीन पलिम्प्सेस्ट की तरह थी, जिस पर विचार और
भावना की परत पर परत उत्कीर्ण है । अभी तक कोई भी उत्तरवर्ती परत पूरी
तरह से पहले लिखी गयी परत को छिपा या मिटा नहीं पाई है।"
इस कथन में नेहरू यह बता रहे हैं कि कैसे विभिन्न संस्कृतियों, प्रथाओं और
परंपराओं ने भारत के विचार और वास्तविकता को परत दर परत उकेरने में
अपना सहयोग दिया है।
क्या आप नेहरू से सहमत हैं? क्यों/क्यों नहीं?
राजनीतिक, आर्थिक, ऐतिहासिक, क्षेत्रीय और सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्रों से
ठोस उदाहरणों के साथ अपने तर्क का समर्थन करें।
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