भारत की एकता कैसी है।
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विविधता में एकता,” भारत में मिल-जुलकर रहनेवाले अलग-अलग जाति के लोगों के बारे में अकसर इस तरह कहा जाता है। इतने बड़े देश में संस्कृतियों, भाषाओं, धर्मों, जातियों, पहनावों और भोजन के तरीकों में विभिन्नता होने के बावजूद यहाँ रहनेवाले लोगों में एकता लाना कोई बच्चों का खेल नहीं। मगर भारत में यहोवा के साक्षियों के प्रशासन दफ्तर में ऐसी एकता ज़रूर दिखायी देती है हालाँकि वहाँ रहकर काम करनेवाले सभी स्वंयसेवक देश भर के कई राज्यों और यूनियन टेरिटरी से आए हैं और वे अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं।
विविधता में एकता,” भारत में मिल-जुलकर रहनेवाले अलग-अलग जाति के लोगों के बारे में अकसर इस तरह कहा जाता है। इतने बड़े देश में संस्कृतियों, भाषाओं, धर्मों, जातियों, पहनावों और भोजन के तरीकों में विभिन्नता होने के बावजूद यहाँ रहनेवाले लोगों में एकता लाना कोई बच्चों का खेल नहीं। मगर भारत में यहोवा के साक्षियों के प्रशासन दफ्तर में ऐसी एकता ज़रूर दिखायी देती है हालाँकि वहाँ रहकर काम करनेवाले सभी स्वंयसेवक देश भर के कई राज्यों और यूनियन टेरिटरी से आए हैं और वे अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं।• आइए राजरानी नाम की युवती से मिलते हैं जो भारत के सबसे उत्तर-पश्चिमी राज्य, पंजाब से आयी है। जब राजरानी स्कूल में पढ़ती थी, उस समय उसकी एक सहेली यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने लगी। उसने बाइबल में राजरानी की दिलचस्पी जगाने की कोशिश की। चूँकि इस सहेली को अंग्रेज़ी अच्छी तरह नहीं आती थी और उस समय प्रहरीदुर्ग पत्रिका पंजाबी में नहीं मिलती थी, इसलिए उसने पत्रिका को पंजाबी में अनुवाद करने में राजरानी से मदद माँगी। राजरानी ने प्रहरीदुर्ग पत्रिकाओं में जो कुछ पढ़ा, उसका उसके दिल पर इस कदर गहरा असर हुआ कि वह अपने माता-पिता के विरोध के बावजूद बाइबल का ज्ञान लेती रही और उसने यहोवा परमेश्वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित कर दी। आज वह भारत के बेथॆल घर में वही काम करती है जिसने सच्चाई के प्रति उसकी आँखें खोल दी थी। जी हाँ, अब वह संस्था की पत्रिकाओं का पंजाबी भाषा में अनुवाद करती है!
विविधता में एकता,” भारत में मिल-जुलकर रहनेवाले अलग-अलग जाति के लोगों के बारे में अकसर इस तरह कहा जाता है। इतने बड़े देश में संस्कृतियों, भाषाओं, धर्मों, जातियों, पहनावों और भोजन के तरीकों में विभिन्नता होने के बावजूद यहाँ रहनेवाले लोगों में एकता लाना कोई बच्चों का खेल नहीं। मगर भारत में यहोवा के साक्षियों के प्रशासन दफ्तर में ऐसी एकता ज़रूर दिखायी देती है हालाँकि वहाँ रहकर काम करनेवाले सभी स्वंयसेवक देश भर के कई राज्यों और यूनियन टेरिटरी से आए हैं और वे अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं।• आइए राजरानी नाम की युवती से मिलते हैं जो भारत के सबसे उत्तर-पश्चिमी राज्य, पंजाब से आयी है। जब राजरानी स्कूल में पढ़ती थी, उस समय उसकी एक सहेली यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने लगी। उसने बाइबल में राजरानी की दिलचस्पी जगाने की कोशिश की। चूँकि इस सहेली को अंग्रेज़ी अच्छी तरह नहीं आती थी और उस समय प्रहरीदुर्ग पत्रिका पंजाबी में नहीं मिलती थी, इसलिए उसने पत्रिका को पंजाबी में अनुवाद करने में राजरानी से मदद माँगी। राजरानी ने प्रहरीदुर्ग पत्रिकाओं में जो कुछ पढ़ा, उसका उसके दिल पर इस कदर गहरा असर हुआ कि वह अपने माता-पिता के विरोध के बावजूद बाइबल का ज्ञान लेती रही और उसने यहोवा परमेश्वर को अपनी ज़िंदगी समर्पित कर दी। आज वह भारत के बेथॆल घर में वही काम करती है जिसने सच्चाई के प्रति उसकी आँखें खोल दी थी। जी हाँ, अब वह संस्था की पत्रिकाओं का पंजाबी भाषा में अनुवाद करती है!• बीजो की बात लीजिए, जो भारत के दक्षिण-पश्चिमी राज्य, केरल का है। राष्ट्रीय समारोह में हिस्सा न लेने की वजह से उसे हाई स्कूल से निकाल दिया गया था। अदालत में उनका मुकदमा लंबे समय तक चला, जिसका नतीजा सच्ची उपासना के लिए बहुत बड़ा मीलपत्थर था। बीजो फिर से स्कूल जाने लगा।* आगे जाकर उसने कॉलेज की पढ़ायी भी की। मगर, वहाँ का अनैतिक माहौल उसे खटकता था, इसलिए उसने कुछ महीनों बाद कॉलेज छोड़ दिया। आज वह बेथॆल में दस साल बिता चुका है। और आज वह महसूस करता है कि आगे पढ़ायी करने से उसे उतना फायदा नहीं मिलता जितना कि विभिन्न मगर संयुक्त बेथॆल परिवार का सदस्य होने से उसे मिला