Social Sciences, asked by sanjeev0009877711, 3 months ago

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाएं कभी-कभी माध्य किस तरह की शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं होती हैं इसके 3 Karan bataye​

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Answered by ananyaanuj2006
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संदर्भ

ग्रामीण भारत में स्कूली शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है। यह बात कुछ समय पहले जारी हुई असर (ASER-एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट ), 2018 में सामने आई है।

क्या है इस रिपोर्ट में?

इस रिपोर्ट में देशभर के 596 ज़िलों के लगभग साढ़े तीन लाख ग्रामीण परिवारों और 16 हज़ार स्कूलों के सर्वेक्षण के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों तक बच्चों की पहुँच, उपलब्धि और विद्यालयों की बुनियादी ज़रूरतों के आँकड़े तैयार किये गए हैं।

ये आँकड़े स्कूली शिक्षा की व्यक्ति और समाज के साथ अंत:क्रिया के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण रुझान देते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, स्कूलों में नामांकन और बुनियादी सुविधाओं जैसे पैमानों पर सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन पढ़ने और गिनने जैसी कुशलताओं में विद्यार्थियों की कमज़ोर हालत स्कूली शिक्षा की प्रक्रिया और प्रभाव के बारे सवाल खड़ा करती है।

दिखाई दे रहे हैं बदलाव

ग्रामीण क्षेत्र में दिखाई दे रहे सार्थक बदलाव शिक्षा के अधिकार कानून के धरातल पर क्रियान्वित होने के परिणाम हैं। यही वज़ह है कि लगभग सभी सरकारी स्कूलों में नामांकन की वृद्धि दर्ज की गई है। ये आँकड़े उत्साहवर्द्धक अवश्य हैं, लेकिन गाँवों में प्राथमिक शिक्षा की वास्तविकता के बारे में केवल इनके आधार पर कोई निष्कर्ष निकलना उचित नहीं होगा।

छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों का स्कूलों में नामांकन लगभग 95% है।

11 से 14 वर्ष आयु तक की विद्यालय न जाने वाली लड़कियों का प्रतिशत केवल 4.1 है।

इसके विपरीत 2014 से 2018 के बीच निजी स्कूलों में नामांकन का आँकड़ा 30-31% के बीच रहा।

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