Geography, asked by shiva922, 4 months ago

भारत की जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याएँ त्या दुष्परिणाम बनाइएण​

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Answered by shraddha22583
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Explanation:

लैंसेट अध्ययन के अनुसार,  वर्ष 2048 में भारत की जनसंख्या विश्व सर्वाधिक होने का अनुमान लगाया गया है जो वर्ष 2017 की 1.38 बिलियन जनसंख्या से बढ़कर लगभग 1.6 बिलियन हो जाएगी।

वर्ष 2100 में भारत की जनसंख्या 1.09 बिलियन अनुमानित की गई है।

अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2100 में भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश होगा। 

अध्ययन के अनुसार, भारत में 20-64 वर्ष की आयु के कामकाजी वयस्कों की संख्या में गिरावट का अनुमान लगाया गया है जो वर्ष 2100 में वर्ष 2017 के लगभग 762 मिलियन से घटकर 578 मिलियन संभावित है। 

हालांकि, भारत में वर्ष 2100 तक  विश्व की सर्वाधिक कामकाजी उम्र की जनसंख्या अनुमानित की गई है।

चीन में कार्यबल/कामकाजी जनसंख्या वर्ष 2100 में वर्ष 2017 के 950 मिलियन से घटकर 357 मिलियन के स्तर पर पहुँच सकती है।

अध्ययन के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR) वर्ष 2019 में घटकर 2.1 से नीचे आ गई जो वर्ष 2100 में 1.29 के स्तर पर होगी।

कुल प्रजनन दर बच्चों की वह संख्या है जो औसतन किसी स्त्री के संपूर्ण प्रजनन काल  (सामान्यत 15 से 49 वर्ष के बीच) में पैदा होते हैं। अर्थात यह प्रति 1000 स्त्रियों की इकाई के पीछे जीवित जन्मे बच्चों की संख्या है।

अध्ययन में वर्ष 2040 तक  भारत की कुल प्रजनन दर गिरावट के साथ स्थिर होने का अनुमान है।

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