Social Sciences, asked by ksatish19758, 5 months ago

भारत की जनता प्रत्येक वर्ष में अपना प्रतिनिधि चुनती है

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Answered by nayakdebi
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Answer:

निर्वाचन अप्रत्यक्ष मतदान से होता है. जनता की जगह जनता के चुने हुए प्रतिनिधि राष्ट्रपति को चुनते हैं.

राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचन मंडल या इलेक्टोरल कॉलेज करता है.इसमें संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं.

दो केंद्रशासित प्रदेशों, दिल्ली और पुद्दुचेरी, के विधायक भी चुनाव में हिस्सा लेते हैं जिनकी अपनी विधानसभाएँ हैं.

चुनाव जिस विधि से होता है उसका नाम है – आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा .

राष्ट्रपति चुनाव की वर्तमान व्यवस्था 1974 से चल रही है और ये 2026 तक लागू रहेगी.

इसमें 1971 की जनसंख्या को आधार माना गया है.

वोट का मूल्य

राष्ट्रपति चुनाव में अपनाई जानेवाली आनुपातिक प्रतनिधित्व प्रणाली की विधि के हिसाब से प्रत्येक वोट का अपना मूल्य होता है.

सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है मगर विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या पर निर्भर करता है.

जैसे देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है तो सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का मूल्य मात्र सात.

प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 है.

भारत में अभी 776 सांसद हैं. 543 लोकसभा सांसद और 233 राज्य सभा सांसद.

776 सांसदों के वोट का कुल मूल्य है – 5,49,408 (लगभग साढ़े पाँच लाख)

भारत में विधायकों की संख्या है 4120.

इन सभी विधायकों का सामूहिक वोट है 5,49,474 (लगभग साढ़े पाँच लाख)

इसप्रकार राष्ट्रपति चुनाव में कुल वोट हैं – 10,98,882 (लगभग 11 लाख)

समीकरण

राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए चाहिए – 5,49,442 वोट (लगभग साढ़े पाँच लाख वोट)

फिलहाल यूपीए के पास उसके सभी सांसदों और सभी विधायकों के वोटों को मिलाकर कुल वोट हैं – 4,60,191

एनडीए के पास सभी सांसदों और विधायकों को मिलाकर कुल वोट हैं – 3,04,785

ऐसी पार्टियाँ, जो ना तो यूपीए में हैं, ना ही एनडीए में, उनके वोट हैं – 2,60,000 से ज्यादा.

कुछ अन्य छोटी पार्टियों के पास भी 70,000 से ज़्यादा वोट हैं.

स्पष्ट है कि ना तो यूपीए और ना ही एनडीए अपने दम पर राष्ट्रपति चुन सकते हैं.

दोनों ही को दूसरी पार्टियों का सहयोग चाहिए.

इसी कारण इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों के क्षेत्रीय नेताओं मुलायम सिंह यादव, शरद पवार, ममता बनर्जी, नीतिश कुमार जैसे नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है.

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