Hindi, asked by Anonymous, 5 months ago

भारत की खोज (NCERT ) कक्षा 8 के लिए हिंदी की पूरक पाठ्यपुस्तक के उत्तर दीजिए

Chp-3
प्रश्न 1 सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष कहां तक मिले और इसका अंत कैसे हुआ?
प्रश्न 2 भारत में चिकित्सा शास्त्र में कहां तक उन्नति की थी?

Chp-4
प्रश्न 1 "इंडिया" शब्द का आधार बताइए|
प्रश्न 2 भारत में खगोल शास्त्र व गणित शास्त्र के विद्वानों के नाम बताइए और उनकी रचनाओं का नाम बताइए|
प्रश्न 3 भारत के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों को सूचीबद्ध कीजिए|

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And don't answer unnecessarily
Who will answer this questions correctly I will mark them as Brainliest ... And I will also follow them .. But don't give unnecessary answers .. Pls answer ​

Answers

Answered by osahoo95
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Answer:

answer number 1 सिंधु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में आते हैं पर बाद में रोपड़, लोथल, कालीबंगा, वनमाली, रंगापुर आदि क्षेत्रों में भी इस सभ्यता के अवशेष मिलेयह सभ्यता मुख्यतः 2500 ई.पू. से 1800 ई. पू. तक रही। ऐसा आभास होता है कि यह सभ्य्ता अपने अंतिम चरण में ह्वासोन्मुख थी। इस समय मकानों में पुरानी ईंटों के प्रयोग की जानकारी मिलती है। इसके विनाश के कारणों पर विद्वान एकमत नहीं हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के अवसान के पीछे विभिन्न तर्क दिये जाते हैं जैसे: बर्बर आक्रमण, जलवायु परिवर्तन एवं पारिस्थितिक असंतुलन, बाढ तथा भू-तात्विक परिवर्तन, महामारी, आर्थिक कारण। ऐसा लगता है कि इस सभ्यता के पतन का कोइ एक कारण नहीं था बल्कि विभिन्न कारणों के मेल से ऐसा हुआ। जो अलग अलग समय में या एक साथ होने कि सम्भावना है। मोहेन्जो दरो मे नग‍र और जल निकास कि वय्व्वस्था से महामरी कि सम्भावन कम लगति है। भिशन अग्निकान्द के भि प्रमान प्राप्त हुए है। मोहेन्जोदरो के एक कमरे से १४ नर कन्काल मिले है जो आक्रमन, आगजनि, महामारी के संकेत है।

answer number 2 चिकित्सा शास्त्र में प्राचीन भारतीयों की उपलब्धियां अधिक महत्त्वपूर्ण कही जा सकती है। भारत में चिकित्सा अथवा औषधिशास्त्र का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है, और यह वैदिक काल तक जाता है। ऋग्वेद में अश्विन को देवताओं का कुशल वैद्य कहा गया है, जो अपने औषधों से रोगों को दूर करने में निपुण थे। वे बीमार पङे लोगों को रोग मुक्त करते थे। अथर्ववेद में आयुर्वेद के सिद्धांत तथा व्यवहार संबंधी बातें मिलती हैं। रोग, उनके प्रतिकार तथा औषध संबंधी अनेक उपयोगी तथा वैज्ञानिक तथ्यों का विवरण इसमें दिया गया है। विविध प्रकार के ज्वरों, यक्ष्मा, अपचित (गण्डमाला), अतिसार, जलोदर जैसे रोगों के प्रकार एवं उनकी चिकित्सा का विधान प्रस्तुत किया गया है। प्रतीकार संबंधी वर्तमान शल्य क्रियाओं का भी यत्र-तत्र निर्देश मिलता है। उल्लेखनीय है, कि इसी पद्धति पर आधुनिक होमियोपैथी चिकित्सा आधारित है, जिसका मूल सिद्धांत सम से सम की चिकित्सा है। इसी को लैटिन भाषा में सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरेन्टर कहा जाता है। प्राचीन भारतीयों ने इस सिद्धांत को अपनाया था। महाभारत में विवरण मिलता है, कि एक बार भीम को दुर्योधन ने विष खिलाकर गहरे जल में फेंक दिया तथा वह अचेतनावस्था में नाग लोक जा पहुँचा। वहां सांपों के काटने से उसके शरीर से विष का प्रभाव दूर हो गया तथा वह तत्काल स्वस्थ हो गया।

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