Hindi, asked by Disai3106, 10 months ago

भारत का लौह पुरूष किसे कहा जाता है
(a) सुभाष चद्र बोस
(b) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(c) जवाहर लाल नेहरू
(d) गोविद वल्लभ पत

Answers

Answered by narendra872
1

Answer:

sardar valabhai patel

Answered by shriprakashgautam56
0

Answer:

(b) सरदार वल्लभ भाई पटेल

Explanation:

गांधीनगर. इस समय देश और दुनिया में भारत की चर्चा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को लेकर हो रही है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, भारत के पहले केंद्रीय गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की है। खास बात ये है कि यह प्रतिमा भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया। सरदार साहब को ‘लौह पुरुष’ यानी Iron Man Of India भी कहा जाता है। अब सवाल ये है कि उन्हें ये नाम क्यों दिया गया।

बेहतरीन प्रशासक

पटेल को उनके आलोचक भी बेहतरीन और कर्मठ प्रशासक मानते आए हैं। कहा जाता है कि वे हर काम की बारीकियों को बहुत तन्मयता और लगन से समझते थे। इसके बाद उसके गुण-दोष पर विचार करते और फिर उस पर फैसला लेते थे। महात्मा गांधी भी उनके धैर्य और कार्यकुशलता के मुरीद रहे। अब बात ये कि उनको लौह पुरुष क्यों कहा जाता है। साफ तौर पर इसकी वजह उनकी प्रशासनिक क्षमता और अद्भुत दृढ़ निश्चयी होना है।

565 रियासतों को एक करना

देश जब आजाद हुआ तो उस वक्त 565 रियासतें थीं। ब्रिटिश शासन ने इनके सामने विकल्प रखा कि वो भारत या पाकिस्तान में से किसी एक को चुन लें। समस्या ये थी कि कुछ रियासतें स्वतंत्र रहना चाहतीं थीं जबकि कुछ ऐसी थीं जो पाकिस्तान से काफी दूर होने के बावजूद उसका हिस्सा बनना चाहती थीं। सरदार पटेल ने इस समस्या को सुलझाया। ज्यादातर रियासतें भारत का हिस्सा बनने को तैयार हो गईं। जो नहीं हुईं उन्हें सैन्य कार्रवाई के जरिए देश में शामिल किया गया। यह पढ़ने में जितना आसान है उतना ही मुश्किल काम था। क्योंकि, एक या दो नहीं बल्कि 565 रियासतें और रजवाड़े पटेल की अखंड भारत सोच में बाधा बन रहे थे। बहरहाल, ये उनका लौह संकल्प ही था, और उन्होंने इसे पूरा किया। सिर्फ जम्मू-कश्मीर को लेकर कुछ सियासी गड़बड़ हुई और देश आज तक इसका दंश भुगत रहा है।

इरादों के पक्के

पटेल के बारे में एक किस्सा काफी प्रचलित है। कहा जाता है बचपन में उन्हें खेलते वक्त एक घाव हो गया। कुछ दिनों बाद यह घाव गंभीर हुआ और फोड़ा बन गया। काफी तकलीफ से वो गुजरे। इलाज सही नहीं हुआ तो एक दिन उन्होंने गर्म सलाख से खुद ही फोड़ा खत्म कर लिया। उनमें गजब की सहनशक्ति थी। विलय के वक्त हैदराबाद का नवाब कुछ ज्यादा ही सख्त हो गया। उसने भारत सरकार की बात मानने से इनकार करते हुए स्वतंत्र रहने का विकल्प चुना। इतना ही नहीं वो सैन्य शक्ति के प्रदर्शन की तैयारी भी कर रहा था। पटेल ने काफी वक्त तक इसे सहन किया। जब लगा कि पानी सिर से ऊपर जा रहा है तो उन्हें निजाम को चेतावनी भी दी। फिर भी बात नहीं बनी तो सैन्य दखल देकर उस रियासत को भारत में शामिल कर लिया।

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